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    चंडीगढ़ में 24/7 जल सप्लाई योजना में विसंगतियां, विस्तृत परफॉर्मेंस ऑडिट की जरुरत, MP तिवारी ने CAG को लिखा पत्र

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sun, 26 Oct 2025 04:07 PM (IST)

    चंडीगढ़ के सांसद संजय टंडन ने शहर में 24/7 जल आपूर्ति योजना की परफॉर्मेंस ऑडिट कराने के लिए कैग को पत्र लिखा है। उन्होंने योजना की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। सांसद तिवारी ने योजना के कार्यान्वयन और प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए नागरिकों को पूरी जानकारी देने की मांग की है।

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    चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ। सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के. संजय मूर्ति को पत्र लिखकर चंडीगढ़ में स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत सातों दिन 24 घंटे जल सप्लाई योजना, विशेषकर मनीमाजरा पायलट प्रोजेक्ट की विस्तृत परफॉर्मेंस ऑडिट की तत्काल जरुरत पर बल दिया है। पत्र में सांसद ने लिखा है कि वह आपका ध्यान चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत 24/7 जल सप्लाई योजना विस्तृत परफॉर्मेंस ऑडिट की जरुरत की तरफ आकर्षित करना चाहते हैं।

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    उन्होंने कहा कि सार्वजनिक धन से वित्त पोषित और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा समर्थित यह परियोजना अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है, जिससे वित्तीय विवेक, कार्यान्वयन प्रभावशीलता और शासन की जवाबदेही को लेकर गंभीर चिंता पैदा हुई हैं। कहा कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद चंडीगढ़ को 24 घंटे ताजे पानी की आपूर्ति वाला भारत का पहला शहर बनने की उम्मीद थी। हालांकि, स्मार्ट सिटी फंड से 166.06 करोड़ रुपये की लागत से क्रियान्वित मनीमाजरा पायलट परियोजना पूरी तरह से विफल रही है।

    सांसद ने खुलासा किया कि पायलट प्रोजेक्ट की बुरी तरह से विफलता के कारण नगर निगम अब पूरे शहर में इस परियोजना को रद करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि मनीमाजरा के किसी भी क्षेत्र में निर्बाध जल आपूर्ति नहीं हो रही है। लोगों ने लगातार शिकायत कर रहे हैं किप्रतिदिन केवल 2-4 घंटे ही पानी मिलता है, जो अक्सर गंदा और पीने लायक नहीं होता। सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में और भी विसंगतियां हैं। 

    तिवारी ने कहा कि इस परियोजना की विफलता की जांच कई एजेंसियां कर रही हैं। हालांकि, जल गुणवत्ता या आपूर्ति मानकों का कोई स्वतंत्र तृतीय-पक्ष मूल्यांकन नहीं किया गया है। इसलिए वह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय से एक संपूर्ण निष्पादन लेखापरीक्षा करने का आग्रह करते हैं।