केंद्र सरकार करेगी विदेश में रहे सिखों की काली सूची पर पुनर्विचार
केंद्र सरकार विदेश में रह रहे सिखों की काली सूची पर पुनर्विचार करने को तैयार हाे गई है। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक में इस पर सहमति बनी
जेएनएन,चंडीगढ़। केंद्र सरकार सिखाें की काली सूची पर पुनर्विचार करने आैर ऐसे लोगों को फिर से मुख्यधारा से जोड़ने पर विचार करने के लिए तैयार हाे गया है पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इसके बाद राजनाथ सिंह ने इस पर सहमति जताई।
उन्होंने कहा कि सिखों की काली सूची में कई नाम सालों से दर्ज हैं। कैप्टन ने कहा कि काली सूची में शामिल सिखों के बच्चों को भारत आने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर राजनाथ सिंह ने सहमति व्यक्त की। कैप्टन ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मुलाकात करके भी यह मुद्दा उठाया था।
मुख्यमंत्री कैप्टन ने गृहमंत्री राजनाथ से मुलाकात कर उठाए कई मुद्दे
कैप्टन अमरिंदर ने केंद्रीय गृह मंत्री से कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने पंजाब पुलिस फोर्स के आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय सहायता की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके लिए पंजाब को श्रेणी-1 के तौर पर अधिसूचित किया जाना चाहिए। कैप्टन ने भारत-पाक सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बीएसएफ की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात करने की भी मांग की।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कशमीर की तर्ज पर बीएसएफ को तैनात किया जाए। इस समय पंजाब के लगभग 32 किमी क्षेत्र में बीएसएफ की केवल एक बटालियन है। कैप्टन ने राजनाथ से कहा कि सीमा की डबल लेयर सुरक्षा के लिए 206 करोड़ रुपये के फंड जारी करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी 2016 से आरएसएस व हिंदू तथा शिवसेना नेताओं के कातिलों को पकड़ने में सफलता नहीं मिल पाई है। अब हाल ही में केंद्रीय एजेंसियों से मिली रिपोर्टें आंतकवादी व गर्मख्याली आरएसएस की शाखाओं, डीएसएस, नाम चर्चा केंद्रों तथा धार्मिक स्थानों को निशाना बनाने की साजिश की तरफ इशारा करती हैं। उन्होंने पंजाब की अति आधुनिक जेलों में सुरक्षा को लेकर सीआइएसएफ या सीआरपीएफ की तैनाती की भी मांग की।
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बेअदबी की घटनाओं की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराने की मांगगृहमंत्री से मुलाकात के दौरान कैप्टन ने मांग की कि बीते कुछ सालों में पंजाब में बेअदबी की घटनाओं के चलते राज्य का माहौल खराब करने की कोशिशें हुई हैं। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार इन घटनाओं की जांच सीबीआइ और अन्य केंद्रीय एजेंसियों से कराने को निर्देश जारी करे।
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यह है काली सूची का मामला
आतंकवाद के दौरान 1980 से लेकर 1990 के दौरान पंजाब पुलिस व केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी। इस दौरान कुछ लोग पंजाब से विदेशों (कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड इत्यादि) में चले गए थे और वहां पर राजनीतिक शरण ले ली थी। कई संगठन से जुड़े लोग पंजाब से भाग कर अन्य देशों में चले गए। इन लोगों के भारत में आने पर पाबंदी लगी हुई है।
पंजाब में एेसेे लोगों के भारत में आने पर लगाई गई पाबंदी को हटाने की मांग उठती रही है, लेकिन यह मामला हल नहीं हो पाया है। इससे विदेशों में बसे ऐसे सिख परिवार भारत नहीं हैं। करीब 342 परिवार ऐसे हैं जो कि काली सूची में दर्ज हैं। इन्हें 32 सालों से भारत में आने की इजाजत नहीं मिली है।