आकस्मिक छुट्टी भी ड्यूटी, सैनिक की विधवा को विशेष पेंशन देने का आदेश बरकरार
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि आकस्मिक छुट्टी पर सैनिक को ड्यूटी पर ही माना जाएगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए सैनिक की विधवा को विशेष पेंशन देने का आदेश बरकरार रखा। सैनिक की मृत्यु अवकाश के दौरान बुखार से हुई थी जिसे कोर्ट ने सैन्य सेवा से जुड़ा माना।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर कोई सैनिक आकस्मिक (कैज़ुअल) अवकाश पर है तो उसे हर दृष्टि से ड्यूटी पर ही माना जाएगा। ऐसे में अवकाश के दौरान तेज बुखार से हुई उसकी मौत को भी सैन्य सेवा से जुड़ा हुआ माना जाएगा।
यह आदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने उस समय दिया जब केंद्र सरकार की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखा गया। न्यायाधिकरण ने सैनिक की विधवा को विशेष पारिवारिक पेंशन देने का आदेश दिया था।
मामला उस समय का है जब एक सैनिक को 13 जून 2002 से 2 जुलाई 2002 तक अवकाश मिला था। अवकाश के दौरान उसे तेज बुखार हुआ और अस्पताल में भर्ती कराने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। सरकार ने विधवा के दावे को यह कहकर ठुकरा दिया था कि सैनिक अवकाश पर था और ड्यूटी पर नहीं।
जस्टिस एचएस सेठी और जस्टिस विकास सूरी शामिल ने कहा कि रक्षा सेवा नियमों के अनुसार कैज़ुअल लीव को भी ड्यूटी ही माना जाएगा। कोर्ट ने कहा, जब किसी अधिकारी को कैज़ुअल लीव पर ड्यूटी माना जाता है और वह इस दौरान बुखार से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त करता है, तो इसे सैन्य सेवा से जुड़ा हुआ ही समझा जाएगा। यह मामला लापरवाही का नहीं बल्कि सेवा की परिस्थितियों का है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का भी हवाला देते हुए कहा कि चाहे अधिकारी अवकाश पर हो, लेकिन परिस्थितियों के आधार पर उसकी मृत्यु को सैन्य सेवा से जुड़ा हुआ माना जा सकता है। इस प्रकार हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सैनिक की विधवा को विशेष पारिवारिक पेंशन का लाभ मिलना सही है और केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।