गजब! दो साल से गाड़ी मेघालय में, चंडीगढ़ में कटा ओवरस्पीड का चालान
पंचकूला के दिशु सागर की गाड़ी दो साल से शिलांग में खड़ी है फिर भी उन्हें चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस से ओवरस्पीडिंग का चालान मिला। दिशु को नंबर प्लेट क्लोनिंग का शक है उन्हें डर है कि कहीं इस फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल किसी अपराध में न हो जाए। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी की है।

मनोज बिष्ट, चंडीगढ़। क्या कभी आपने सोचा है कि आपकी गाड़ी सैकड़ों किलोमीटर दूर बड़ी हो और उसका चालान किसी और शहर में आ जाए। पंचकूला के दिशु सागर के साथ ऐसा ही वाक्या हुआ। उनकी कार करीब दो साल से मेघालय की राजधानी शिलांग में खड़ी है। लेकिन वीरवार शाम अचानक इनके मोबाइल पर चंडीगढ़ ट्रैफिक लिस का ओवरस्पीड चालान आया। दिशु सागर सेक्टर-8, पंचकूला क रहने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी शिलांग में रहती हैं और उनके पास ही यह कार (एमएल -05एस-5203) है। 2023 के बाद से यह गाड़ी शिलांग में पार्किंग में खड़ी है। लेकिन चालान में बताया गया कि कार हल्लोमाजरा से विकास नगर की सड़क पर तेज रफ्तार से दौड़ रही थी। जब दिशु ने अपनी पत्नी को फोन करके पूछा तो उन्होंने तुरंत बताया गाड़ी तो यहीं पार्किंग में खड़ी है, कहीं बाहर गई ही नहीं। इसके बाद दिशु के होश उड़ गए।
नंबर प्लेट की क्लोनिंग का शक
दिशु सागर का कहना है कि अब उन्हें नंबर प्लेट की क्लोनिंग (फर्जी डुप्लीकेट नंबर लगाना) की आशंका हो रही है। उन्होंने कहा संभव है किसी ने उनकी कार के नंबर की नकल करके दूसरी गाड़ी पर लगा दिया हो । चालान तो तरफ है, उन्हें डर है कि कहीं इस फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल किसी अपराध में न हो जाए ।
चंडीगढ़ और शिलांग पुलिस के लिए चुनौती
यह मामला चंडीगढ़ और शिलांग पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। एक तरफ मालिक को निर्दोष साबित करना होगा। पुलिस को पता लगाना होगा कि आखिर हल्लोमाजरा में ओवरस्पीडिंग करते पकड़ी गई गाड़ी कौन सी थी और उसके पीछे कौन लोग थे।
शिकायत दर्ज कराने की तैयारी
युवक ने बताया कि वह जल्द ही पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज करवाएंगे । उन्होंने मांग की है कि ट्रैफिक पुलिस को ऐसे मामलों में गहराई से जांच करनी चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ चालान की गलती नहीं बल्कि सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला भी हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है।
बड़े शहरों में वाहनों की नंबर प्लेट क्लोनिंग तेजी से बढ़ रही है। अपराधी किसी चलती-फिरती गाड़ी का नंबर नोट करके या फोटो खींचकर उसे डुप्लीकेट प्लेट पर छपवा लेते हैं और फिर उसी गाड़ी नंबर के नाम पर अपराध करते हैं। इसका खामियाजा असली मालिक को भुगतना पड़ता है।
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