पराली पर किसानों के गुस्से को लेकर वित्त मंत्री जेटली से मिलेंगे कैप्टन अमरिंदर
कैप्टन ने बयान जारी कर कहा है कि राज्य सरकार ने पराली जलाने की जानलेवा समस्या से निपटने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। कैप्टन इसपर जेटली से भी मिलेंगे।
जेएनएन, चंडीगढ़। पराली जलाने को लेकर किसानों के कड़े रुख को पंजाब सरकार ने गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले सप्ताह केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने की तैयारी में हैं। यह मुलाकात मुख्य रूप से पराली जलाने की समस्या के समाधान को लेकर ही होगी। उल्लेखनीय है कि किसानों ने कहा है कि यदि सरकार पराली न जलाने पर कोई कानून बनाना चाहती है तो किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने की मांग पर गंभीरता से विचार करे।
कैप्टन ने बयान जारी कर कहा है कि राज्य सरकार ने पराली जलाने की जानलेवा समस्या से निपटने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। उन्होंने किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के मद्देनजर इससे दूर रहने को कहा है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में हर साल पैदा होती 19.7 मिलियन टन धान की पराली में से 75 प्रतिशत के जलाए जाने के कारण इस समस्या ने खतरनाक रूप धारण कर लिया है।
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इससे जमीन के उपजाऊ तत्वों को नुकसान पहुंचता है और वातावरण प्रदूषित होता है। सिर्फ 21.8 प्रतिशत पराली बायोमॉस प्रोजेक्टों, कागज-गत्तों की मिलों और पशुओं के चारे व अन्य मकसदों के लिए इस्तेमाल की जाती है। इससे बहुत थोड़े हिस्से का मशीनरी इत्यादि से प्रबंधन किया जाता है।
सरकार द्वारा बनाई की योजना अनुसार हर साल 15.40 मिलियन टन पराली का प्रबंधन फसली विभिन्नता, कृषि अवशेष और औद्योगिक प्रयोग के द्वारा करने का सुझाव दिया गया है। बायोमॉस बिजली प्लांट, बायो रिफाइनरीज में बड़े स्तर पर निवेश किया जा रहा है जिससे इसका प्रयोग औद्योगिक सुविधा के लिए किया जा सके और कृषि अवशेष से ऊर्जा तैयार की जा सके। प्रधानमंत्री से पराली न जलाने के लिए 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग करने के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह अगले सप्ताह केंद्रीय कृषि मंत्री के अलावा वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे।
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सूचना देनी की जिम्मेदारी पंचायतों की
सरकार ने सभी डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिले में पराली और खेती के साथ संबंधित अन्य अवशेष जलाने पर पाबंदी लगाने के लिए सीआरपीसी के तहत आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा विभाग ने स्थानीयपुलिस व एसडीएम को पराली जलाने की किसी भी घटना की लिखित सूचना देने के लिए पंचायतों को जिम्मेदार बनाने का फैसला किया है। गेहूं की कटाई के सीजन के दौरान नाड़ जलाने पर 61.47 लाख रुपये का मुआवजा किसानों पर लगाया गया था। नाड़ जलाने की 10905 घटनाएं हुई थीं।
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