एसवाइएल के मुद्दे पर मोदी से मिले कैप्टन, बातचीत से हल को तैयार
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी से मुलाकात कर एसवाइएल के मुद्दे पर चर्चा की। इस दौरान कैप्टन ने पीएम से औद्योगिक पैकेज की भी मांग की।
जेएनएन, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पंजाब सरकार को झटका मिलने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। हालांकि मुलाकात को लेकर एसवाइएल मुद्दे पर पंजाब सरकार ने कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कैप्टन ने इस दौरान प्रधानमंत्री को पंजाब की स्थिति से अवगत करवाया। साथ ही कहा कि वह इस मसले को बातचीत से हल करने को तैयार हैं।
यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि कैप्टन प्रधानमंत्री से मिलने के लिए पिछले चार दिन से दिल्ली में ही डटे हुए थे। वहीं एक हफ्ते के दौरान कैप्टन ने प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी बातचीत की। वे केंद्रीय मंत्री उमा भारती से मुलाकात कर चुके हैं।
कैप्टन ने प्रधानमंत्री को बताया कि एसवाइएल नहर में पानी जाता है, तो इससे पंजाब की 20 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर हो जाएगी। लाखों किसान बर्बाद हो जाएंगे। पंजाब सरकार इस समस्या के हल के लिए किसी ऐसे फार्मूले की तलाश करना चाहती है, जिससे मामले का समाधान भी हो और पंजाब के अधिकारों व संवेदनाओं को ठेस भी न लगे।
औद्योगिक पैकेज की मांग
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य की अर्थव्यवस्था को दोबारा बहाल करने और इसके औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन की मांग की है, ताकि बेरोजगार नवयुवकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किये जा सके। कैप्टन ने पंजाब में कृषि संकट के हल के लिए केंद्र के समर्थन की मांग की है।
उन्होंने 31 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के निपटारे के लिए भी प्रधानमंत्री को दखल देेने का आग्रह किया है, जो 12500 करोड़ रुपये के सीसीएल विरासती अंतर और केंद्र की ओर से उस पर लगाए गए 18 हजार करोड़ रुपये के जरूरत से ज्यादा ब्याज का परिणाम है। इस मुलाकात के दौरान कैप्टन ने कहा कि अगले बीस वर्षों के लिए कर्ज के कारण प्रति वर्ष 3240 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत होगी। उन्होंने इस समूचे मामले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। कैप्टन ने यह भी कहा कि यह बोझ सभी संबंधित एंजेसियों की ओर से अनुपातिक रूप से सहन किया जाना चाहिए।
बेअदबी मामलों में सीबीआइ जांच में तेजी लाने का आग्रह
मुख्यमंत्री ने जनवरी 2016 से पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी और आरएसएस और शिव सेना के नेताओं की हत्याओं के मामले की सीबीआइ जांच के संबंध में कहा कि उनकी सभी कोशिशों के बावजूद केंद्र और राज्य पुलिस व खुफिया एंजेसियां इन मामलों का पता लगाने में असफल रही हैं।
उन्होंने आग्रह किया कि केंद्रीय खुफिया व जांच एंजेसियों को इन मामलों का पता लगाने के लिए कोशिशें तेज करने के निर्देश दिए जाएं। उन्होंने सुरक्षा से संबधित खर्च (एसआरई) स्कीम के प्रसार की भी मांग की है, जो वर्तमान समय में वामपंथी आतंकवाद से प्रभावित राज्यों में लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब में भी अस्थिरता पैदा करने व सद्भावना को ठेस पहुंचाने की उच्च स्तर पर कोशिशें की गई हैं। इनके मद्देनजर यहां भी यह स्कीम शुरू की जानी चाहिए।
सोशल मीडिया पर निगरानी का मुद्दा भी उठाया
मुख्यमंत्री ने बहुत से क्षेत्रों में सोशल मीडिया पर निगरानी रखने, गैर कानूनी कार्रवाई पर रोक लगाने आदि के लिए निगरानी की आवश्यक जरूरत के लिए ठोस निवेश की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने फेसबुक व वॉट्सएप जैसे सोशल मीडिया के बढ़ रहे प्रयोग पर गंभीर चिंता प्रकट की। इससे पंजाब सहित देश भर में सूचना के प्रसार से सांप्रदायिकता को हवा देकर कानून व्यवस्था की समस्या पैदा की जा रही है । उन्होंने सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए केंद्र की सहायता मांगी और इस संबंध में विभिन्न सुझाव पेश किए, जो इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के लिए मददगार हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें: पंजाब पहले एसवाइएल का काम पूरा करे, फिर होगी जल बंटवारे पर बात : सुप्रीम कोर्ट