भारत की सख्ती के आगे झुका कनाडा, राजनीतिक शरण देने पर रोक; पंजाब पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
कनाडा ने भारत के दबाव में बड़ा फैसला लिया है। अब कनाडा में राजनीतिक शरण की नीति बंद हो गई है। 29 नवंबर से शरणार्थियों से नए आवेदन स्वीकार नहीं होंगे। जिन लोगों को शरण दी भी जाएगी उनके आवेदन की कड़ाई से जांच की जाएगी। इस फैसले का सबसे अधिक प्रभाव पंजाब पर पड़ेगा क्योंकि कनाडा में राजनीतिक शरण मांगने वालों में सर्वाधिक संख्या पंजाब के लोगों की है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद कनाडा व भारत के संबंध तनावपूर्ण हैं। अब भारत के दबाव के समक्ष घुटने टेकते हुए कनाडा ने आंख बंद कर अपने यहां राजनीतिक शरण देने की नीति बंद करने की घोषणा कर दी है।
कनाडा ने कहा है कि 29 नवंबर से शरणार्थियों से नए आवेदन स्वीकार नहीं होंगे। जिन लोगों को शरण दी भी जाएगी, उनके आवेदन की कड़ाई से जांच की जाएगी। भारत अप्रत्याशित रूप से सख्त रवैया अपनाकर कनाडा पर अलगाववादी तत्वों को नियंत्रित करने का लगातार दबाव बनाए हुए है।
कनाडा के इस निर्णय का प्रभाव सबसे अधिक पंजाब पर पड़ेगा, क्योंकि कनाडा में राजनीतिक शरण मांगने वालों में सर्वाधिक संख्या पंजाब से वहां जाने वालों की ही है।
31 दिसंबर 2025 तक प्रभावी रहेगा यह नियम
कनाडा सरकार ने आदेश जारी किया है कि विदेश से आने वाले शरणार्थियों व कनाडा में प्रायोजकों को अधिक निश्चितता प्रदान करने के लिए आव्रजन, शरणार्थी व नागरिकता विभाग (आइआरसीसी) ने 29 नवंबर से शरणार्थियों के निजी प्रायोजन (पीआर) कार्यक्रम में पांच के समूहों व सामुदायिक प्रायोजकों से नए आवेदन स्वीकार करना अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।
यह नियम 31 दिसंबर, 2025 तक प्रभावी रहेगा। नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 29 नवंबर से पहले तक जितने भी आवेदन आइआरसीसी को प्राप्त हुए हैं, उन्हें ही कनाडा में बसाने पर विचार किया जाएगा।
2025 में कनाडा 23,000 निजी प्रायोजित शरणार्थियों को बसाएगा, परंतु शरण देने से पूर्व आवेदनों की बारीकी से जांच होगी। कनाडा में शरण चाहने वालों की संख्या इस वर्ष अगस्त में 13,000 थी, जोकि सितंबर में बढ़कर 14,000 हो गई थी।
इमिग्रेशन सलाहकार छात्रों को देते हैं झूठे आवेदन करने की सलाह
कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने राजनीतिक शरण की मांग करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की बढ़ती संख्या पर पिछले दिनों हैरानी जताई थी। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे छात्र कनाडा पहुंचते हैं जो आगमन के तुरंत बाद शरण का दावा पेश कर देते हैं।
मिलर ने ‘झूठे शरण आवेदनों’ में भारी वृद्धि के लिए इमिग्रेशन सलाहकारों के अनैतिक परामर्श को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अधिकतर बार तो शरण के लिए वैध कारण भी नहीं होते। वास्तविकता में ट्यूशन फीस नहीं दे पाने की आर्थिक तंगी जैसे कारण सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि इसमें अवसरवादिता चल रही है और लाभ उठाया जा रहा है। मिलर ने आइआरसीसी से अनुरोध किया कि वह उन लाइसेंस प्राप्त सलाहकारों की जांच करे जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों के ‘शरण दावों’ को आगे बढ़ाने के लिए अनुचित सलाह देते हैं।
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40 हजार तक विद्यार्थी कनाडा में राजनीतिक शरण पाने में जुटे
कनाडा सरकार का यह कदम पंजाब के उन युवाओं को प्रभावित करेगा जो वहां शरण मांग रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ कंसलटेंट फॉर ओवरसीज स्टडीज के सचिव सुखविंदर नंदा बताते हैं कि इस वर्ष ही 30 से 40 हजार से अधिक विद्यार्थी व टूरिस्ट वीजा पर जाने वाले लोग किसी न किसी बहाने कनाडा में राजनीतिक शरण लेने में जुटे हैं।
राजनीतिक शरण लेने का उद्देश्य यही होता है कि किसी तरह कनाडा में बस जाएं। पंजाब से हर वर्ष लगभग पौने दो लाख विद्यार्थी स्टडी वीजा पर कनाडा जाते हैं।
सिमरनजीत मान तो हजारों युवाओं को अपना पत्र देकर भिजवा चुके कनाडा
संगरूर के पूर्व सांसद एवं शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान ने पिछले वर्ष स्वीकार किया था कि उन्होंने पंजाब के कम से कम 50,000 युवाओं को राजनीतिक शरण लेने के लिए अपने लेटरहेड पर पत्र जारी किए हैं।
ये पत्र शरण चाहने वालों को जारी किए जाते हैं जो 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के दौरान सिखों पर अत्याचार, हत्या और अपने हितों की आवाज उठाने पर हुई हत्याओं की अपनी कहानियां सुनाते हैं। सिमरनजीत ने यह भी माना था कि वह प्रति पत्र 50 हजार रुपये लेते हैं। इस धन का उपयोग अपनी पार्टी चलाने में करते हैं।
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