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दस हजार रुपये में बन जाएंगे एक एकड़ जमीन के मालिक, सरकार लाने जा रही बिल

आजादी के 72 साल बाद आखिर पंजाब सरकार ने राज्य की छह हजार एकड़ जमीन को उन लोगों के नाम पर करने का फैसला कर लिया है जो इन जमीनों पर काबिज हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 10:03 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 10:52 AM (IST)
दस हजार रुपये में बन जाएंगे एक एकड़ जमीन के मालिक, सरकार लाने जा रही बिल
दस हजार रुपये में बन जाएंगे एक एकड़ जमीन के मालिक, सरकार लाने जा रही बिल

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। आजादी के 72 साल बाद आखिर पंजाब सरकार ने राज्य की छह हजार एकड़ जमीन को उन लोगों के नाम पर करने का फैसला कर लिया है जो इन जमीनों पर काबिज हैं। यह जमीन विभिन्न जातियों के पास है जो लंबे समय से इस पर खेेेेती कर रही हैं, लेकिन इनके पास मालिकाना हक नहीं है। ये आर्थिक रूप से इतनेे सशक्त भी नहीं हैं कि इन जमीनों को खरीद सकें।

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ये सभी जातियां 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत में आईं थी और यहां पर उन्होंने इन जमीनों पर खेती करनी शुरू कर दी थी। तभी से ये जमीनें उनके कब्जे में हैं। आने वाले विधानसभा सत्र में प्रदेश सरकार 'द पंजाब भोंडेदार, बूटेमार, दोहलीदार, इंसार मियादी, मुकारीदार, मंधीमार, पुनाहीकदमी, सौंझीदार बिल 2019' लाने जा रही है। बताया जाता है कि सरकार इसके लिए इनसे करीब दस हजार रुपये प्रति एकड़ लेगी और इन जमीनों का मालिकाना हक इन्हें दे दिया जाएगा।

राजस्व विभाग के मंत्री रहे सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने बताया कि पंजाब में ऐसी 6000 एकड़ जमीन है जिन पर ऐसे सात हजार लोग काबिज हैं। चूंकि इनके पास जमीनों के मालिकाना हक नहीं हैं, इसलिए लोन आदि मिलने में दिक्कतें आती है। राज्य सरकार ने अब उनको मालिकाना हक देने का फैसला किया है जिसके तहत यह बिल लाया जा रहा है। सरकारिया ने यह बिल तैयार किया था, लेकिन अब उनके पास अब राजस्व विभाग नहीं है। हाल ही में मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में उन्हें शहरी विकास विभाग दे दिया गया है।

मेघालय सरकार के सामने दिया था उदाहरण

उल्लेखनीय है कि एक हफ्ता पहले शिलांग में सिखों को उनकी जमीन से हटाए जाने का मसला जब सामने आया तो पंजाब सरकार ने सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के नेतृत्व में शिष्टमंडल वहां की सरकार से मिलने के लिए भेजा था। रंधावा ने वहां के गृह मंत्री जेम्स के संगमा को इस बिल की कॉपी देकर बताया कि बरसों से जो लोग जमीन पर काबिज हैं उनसे कुछ पैसा लेकर सरकार उन्हें मालिकाना हक देने जा रही है। मेघालय सरकार भी वहां के सिखों के लिए ऐसा ही प्रबंध करके समस्या से निजात दिला सकती है। दरअसल मेघालय भूमि कानून 1972 के अनुसार कोई भी बाहरी व्यक्ति मेघालय में जमीन नहीं खरीद सकता।

जमीनें महंगी होने से भूमाफिया की नजर

इस तरह की समस्या कई अन्य प्रदेशों में भी है। बरसों से लोग सरकारी जमीनों पर खेती कर रहे हैं। आज जमीनें महंगी होने के कारण भूमाफिया के निशाने पर हैं। खासतौर पर जो जमीनें शहरों के पास आ गई हैं उन पर ऐसे लोगों की नजर है जो उन्हें वहां से किसी भी तरह हटाने का बाट जोह रहे हैं।

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