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    ब्रिगेडियर चांदपुरी का 1971 के भारत-पाक युद्ध में था जबर्दस्‍त प्‍लान-बी, जानें लोंगेवाल युद्ध के अनजाने पहलू

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 03 Dec 2021 05:31 PM (IST)

    भारत-पाकिस्‍तान के बीच 1971 में हुए युद्ध के नायकों में चंडीगढ़ के ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांंदपुरी का नाम अग्रणी रहा है। लोंगेवाल के मोर्चे पर प‍ाकिस्‍तान सेना को धूल चटाने वाले बिग्रेडियर ने जबर्दस्‍त प्‍लान बी बनाया था। जानिये इस युद्ध के अनजान पहलू।

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    1971 के भारत-पाकिस्‍तान जंग के नायक ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी। (फाइल फोटो)

    चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। जब भी भारतीय सेना के शौर्य की बात होती है, तो लोंगेवाल युद्ध और उसके नायक बिग्रेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का जिक्र जरूर होता है। भारत-पाकिस्‍तान के बीच 1971 की जंंग के दौरान  चार से सात दिसंबर तक हुई लोंगेवाल मोर्चे की लड़ाई कई मायने में अप्रतिम थी।  इस बात पर विश्वास करना आज भी मुश्किल होता है कि कैसे 120 सैनिकों ने टैकों के साथ आए तीन हजार दुश्मन सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। साल 1997 में रिलीज हुई फिल्म बॉर्डर में इस जीत को बखूबी फिल्माया गया, लेकिन इस युद्ध में कई अनजान पहलुओं का जिक्र नहीं है। ब्रिगेडियर चांदपुरी ने जबर्दस्‍त युद्ध रणनीति बनाई थी, इसके साथ ही उनका प्लान-बी बेहद अनोखा व जीवटता भरा था ।

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    भारत -पाक युद्ध- 1971 स्वर्णिम विजय वर्ष पर विशेष

    कुलदीप सिंह चांदपुरी के बेटे हरदीप सिंह चांदपुरी बताते हैं कि उनके पिता ने हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित शूलिनी यूनिवर्सिटी में अपने आखिरी संबोधन के दौरान युद्ध के दौरान बनाए गए प्‍लान बी के बारे में खुद खुलासा किया था। एक छात्र ने चांदपुरी से पूछा था कि इस मुश्किल समय में क्या आपके पास कोई दूसरा प्लान भी था। इसके जवाब में चांदपुरी ने बताया था कि हां मेरे पास प्लान-बी तैयार था।उन्होंने कहा, मैंने अपने जुराब में एक पिस्टल रखा था और सोचा था कि अगर हम हार भी जाते हैं तो मैं युद्धबंदी बिल्कुल नहीं बनूंगा। हरदीप ने बताया  कि पिता ने इससे पहले इस बात का कभी जिक्र नहीं किया था। उनकी यह बात सुनकर मैं सन्न रह गया था।

    चंडीगढ़ के सेक्टर-33 स्थित बिग्रेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी के घर में उनकी पत्‍नी सुुरेंद्र कौर, उनके दोनों बेटे, बहुएं व पोता। (फोटो -संजय घिल्डियाल)

    यह था प्लान-बी : - पाक सेना जिंदा पकड़ लेती तो खुद को गोली मार लेते बिग्रेडियर चांदपुरी

    ब्रिगेडियर चांदपुरी बहुत ही शांत स्वभाव के थे। वह कम बोलते थे मगर जो बोलते थे बेहद सटीक। उनका व्यवहार ऐसा था कि वह सबके साथ अपना रिश्ता बना लेते थे। हरदीप बताते हैं कि उनके साथ युद्ध लड़ने वाले कई सैनिकों से वह मिले हैं। वे सैनिक बताते थे कि हमारे साहब हमारे साथ खाना खाते थे। हमें अपना समझते थे। लेकिन, युद्ध के दौरान उनका व्यवहार बिलकुल जुदा था।

    लोंगेवाल में पाकिस्तान के जीते टैंक पर चढ़कर युद्ध में जीत की खुशी मनाते बिग्रेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी व अन्य सैनिकों की फाइल फोटो। (सौजन्य - ब्रिगेडियर चांदपुरी परिवार)

    हरदीप बताते हैं कि आज भी उनके घर में उनके दोस्तों के लिए एक खास रूम है। यह कमरा स्पेशल उनके (ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी के) फौजी दोस्तों के लिए था। मैं सबको ट्रेन से लाने और छोड़ने जाता था और उनसे पिता की बहादुरी के किस्से सुनता। पिता कभी बिना पूछे कुछ नहीं बताते थे।

    आइएसआइ की धमकियों से भी नहीं डरे चांदपुरी

    हरदीप बताते हैं, जब फिल्म बॉर्डर आई तो आइएसआइ से उन्हें (ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी को) खूब धमकियां मिलीं। धमकी में यह भी कहा गया कि उन सभी सैनिकों को मार दिया जाएगा, जिन्होंने लोंगेवाल का युद्ध लड़ा था। हरदीप बताते हैं कि हमारे पड़ोसी जब पिता से इस बाबत बात करते थे तो वह कहते थे कि चिंता मत करें वह तीन हजार आए थे, तब भी कुछ नहीं कर पाए।

    बिग्रेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी को महावीर चक्र सम्मान देते तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी। (सौजन्य -ब्रिगेडियर चांदपुरी परिवार)

    लोंगेवाल बॉर्डर पर लगेगी चांदपुरी की मूर्ति

    जुलाई 2021 में लोंगेवाल बॉर्डर पर एक कार्यक्रम था, जिसमें भारत-पाक युद्ध -1971 स्वर्णिम विजय वर्ष पर उन सभी जगहों की मिट्टी एकत्र करनी थी, जहां पर पाकिस्‍तान से युद्ध हुआ था। ऐसे में लोंगेवाल की मिट्टी लेने के लिए ब्रिगेडियर चांदपुरी के परिवार के सदस्यों को खासतौर पर बुलाया गया था। हरदीप बताते हैं कि इस लिस्ट में सबसे ऊपर उनकी माता का नाम था। उसके बाद प्रयाग सिंह नाम के पूर्व सैनिक थे, जिन्होंने युद्ध में हिस्सा लिया था। इसके बाद जैसलमेर राजपरिवार और फिर सैन्य व प्रशासनिक अधिकारी के नाम थे। उन्होंने कहा कि वह कल (तीन दिसंबर 2021) को फिर लोंगेवाल जा रहे हैं। वहां कुलदीप सिंह चांदपुरी की मूर्ति स्थापित होगी।

    चंडीगढ के सेक्टर-33 स्थित टेरिस गार्डन में स्वर्गीय बिग्रेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी के मनोनीत पार्षद रहते बनाया गया वार मेमोरियल। (जागरण)

    प्रधानमंत्री मोदी ने चांदपुरी को किया था राष्ट्रदीप कहकर संबोधित

    हरदीप ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुलदीप सिंह चांदपुरी को कुलदीप नहीं राष्ट्रदीप कहकर संबोधित किया था। उनके लिए इससे बड़ा सम्मान क्या हो सकता है। इसके अलावा मशहूर कामेडियन कपिल शर्मा ने भी ब्रिगडियर कुलदीप सिंह चांदपुुरी के परिवार के साथ एक खास शो रिकार्ड किया है, जो इसी महीने प्रसारित होगा।

    चंडीगढ़ के विकास में भी चांदपुरी का अहम योगदान

    बिग्रेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी को उनकी बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने महावीर चक्र से नवाजा था। वर्ष 1971 में राष्ट्रपति वीवी गिरी ने उन्हें महावीर चक्र सम्मान दिया। वह चंडीगढ़ नगर निगम में वर्ष 2006-2011 तक मनोनीत पार्षद रहे। इस दौरान उन्होंने चंडीगढ़ सेक्टर-33 स्थित टेरिस गार्डन में वार मेमोरियल के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।

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