पंजाब में भी हरियाणा वाला दांव, क्या चुनावों में जट Vs नॉन जट का कार्ड खेलेगी BJP?
चंडीगढ़ में भाजपा केंद्रीय योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगा रही है जिससे 2027 में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी है। इन शिविरों के माध्यम से भाजपा जट व नॉन जट की राजनीति को बढ़ावा दे रही है। सरकार इन शिविरों को रोकने का प्रयास कर रही है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने के लिए जो ग्रामीण सेक्टर में कैंप लगाने का काम शुरू किया है, क्या वह पार्टी के लिए ग्रामीण सेक्टर के दरवाजे खोल पाएगा।
ये दरवाजे तीन खेती कानूनों को लेकर एक वर्ष तक चले आंदोलन के कारण बंद हैं। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को किसानों के उसी गुस्से को सहन करना पड़ा था लेकिन पांच वर्ष बाद केंद्रीय योजनाओं की जानकारी देने के लिए भाजपा ने गांवों कैंप लगाए हैं।
इन कैंपों के माध्यम से भाजपा 2027 में अकेले चुनाव लड़ने के इरादे जट व नॉन जट की पॉलिटिक्स आगे बढ़ा रही है। ऐसा प्रयोग हरियाणा में पार्टी सफलतापूर्वक कर चुकी है।
AAP को भाजपा के कैंपेन से हो रहा खतरा महसूस?
इन कैंपों में मिलने वाले रिस्पोंस को देखकर सत्तारूढ़ पार्टी को लगने लगा है कि इससे उसकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है इसलिए सरकार ने इन कैंपों को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
भाजपा के कैंपों में एससी व बीसी वर्ग को केंद्रीय योजनाएं मिलने या न मिलने को लेकर जो डाटा लिया जा रहा है, उसने आम आदमी पार्टी में अधिक परेशानी बढ़ा रखी है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा, पार्टी की अन्य सीनियर लीडरशिप भी सरकार की कैंपों को रोकने की कार्रवाई को यह कहते हुए जायज ठहरा रही है कि इस बहाने भाजपा लोगों का निजी डाटा ले रही है।
जिस प्रकार भाजपा के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ व अबोहर से कांग्रेस के निलंबित विधायक संदीप जाखड़ सहित पार्टी नेताओं को गिरफ्तार किया गया है, उससे इस बात को बल मिलता है कि आम आदमी पार्टी को भाजपा के इस कदम का कोई तोड़ नहीं मिल रहा है।
BJP के कैंपेन से AAP हुई सजग
आम आदमी पार्टी इस बात को अच्छी तरह से समझ रही है इसलिए उसके कोर ग्रुप में भाजपा की इस रणनीति को एन्काउंटर करने की बातें हो रही हैं।
भाजपा के कार्यकारी प्रधान अश्विनी शर्मा का कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, दलितों, महिलाओं व युवाओं के कल्याण के लिए चलाई जारी जन कल्याण की योजनाओं को पंजाब में प्रोत्साहित न करके बहुत बड़े वर्ग को आप लाभ से वंचित रख रही थी।
‘भाजपा के सेवादार आ गए तुहाडे द्वार’ नामक इस अभियान से अब तक डेढ़ लाख लोगों को लाभ हो चुका है । यह सब वही लोग हैं जो योजना का लाभ लेना चाहते थे पर पंजाब की आप सरकार उन तक पहुंच नहीं पा रही थी। वह राजनीतिक कारणों से योजनाएं पहुंचाना नहीं चाहती थी।
वित्तमंत्री हरपाल चीमा के डाटा चोरी के आरोप पर शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि चोर मचाए शोर। आप पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनावी अभियान के समय अलग-अलग गारंटियों, वायदों, कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के फार्म भरवा डाटा इकट्ठा किया था।
जातिगत समीकरण साधना चाहती है BJP
भाजपा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग व हिंदू वोट बैंक को कंसोलिडेट करना चाहती है। पंजाब में अनुसूचित जाति की आबादी 32 प्रतिशत है। इसी तरह 18 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग है। इनमें बड़ी सेंध लगाकर और हिंदू वोट बैंक को मिलाकर भाजपा एक बड़ा दांव खेलने की फिराक में है।
2014 में यही दांव हरियाणा में भी खेला गया था और उसी के दम पर वहां तीसरी बार पार्टी सत्ता में आई है। यही दांव अब पंजाब में खेलने की तैयारी है।
पिछड़े वर्ग के वोट को हासिल करने के लिए हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैणी की भी सेवाएं ली जा रही हैं। इसी वोट बैंक ने 2022 में आम आदमी पार्टी के पक्ष में खुलकर मतदान किया था।
राज्य की 34 आरक्षित सीटों में दो-तिहाई सीटें आप को मिली थीं। यही हाल पिछड़ा वर्ग की सीटों का भी था। पार्टी को लगता है कि यह वोट बैंक उसके हाथ से खिसक रहा है।
2022 के चुनाव में किसानों ने भी तीन खेती कानूनों के चलते आप का पूरा साथ दिया था लेकिन अब ज्ञानी हरप्रीत सिंह की अगुआई में बनने वाले शिरोमणि अकाली दल के एक और धड़े के एक्टिव होने और किसानों का आप सरकार से मोहभंग होने के चलते यह वोट भी खिसक गया है। इसने भी आप पार्टी को चिंता में डाला हुआ है।
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