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पंजाब में भाजपा की अग्निपरीक्षा, खास रणनीति से चुनौतियों से निपटने की तैयारी में जुटी पार्टी

Punjab Politics पंजाब में अकेले दम पर सियासी समर में भाजपा को कई अग्निपरीक्षाओं से गुजरना होगा। पार्टी को विधानसभा चुनाव से पहले स्‍थानीय निकाय चुनाव की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। पार्टी पंजाब में चुनौतियों से निपटने को खास रणनीति के तहत कार्य कर रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 09:39 AM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 04:37 PM (IST)
पंजाब में भाजपा की अग्निपरीक्षा, खास रणनीति से चुनौतियों से निपटने की तैयारी में जुटी पार्टी
पंजाब भाजपा के अध्‍यक्ष अश्‍वनी शर्मा। पंजाब में भाजपा के लिए कइ्र चुनौतियां हैं। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। Punjab Politics: पंजाब में पहली बार अकेेले दम पर सियासी मैदान में नजर आ रही भाजपा को आगे कई अग्निपरीक्षााओं से गुजरना होगा। राज्‍य में 2022 में होनेवाले विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) से पहले भाजपा के समक्ष कई चुनौतियां हैं। पार्टी राज्‍य में  अपनी नई पहचान बनाने और चुनौतियों काे पार करने के लिए खास रणनीति पर काम कर रही है। कृषि सुधार कानूनों को लेकर करीब 22 दिन से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों में भले ही केंद्र की भाजपा सरकार के प्रति गुस्सा चरम पर हो लेकिन पंजाब में भारतीय जनता पार्टी आने वाले नगर निगम व नगर परिषद के चुनाव में अग्नि परीक्षा देने की तैयारी में जुटी हुई है।

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नगर निगम और नगर परिषद चुनाव के लिए प्रत्याशियों की हो रही तलाश

पंजाब में पहली बार अकेले चुनाव मैदान में उतरने जा रही भाजपा के नेता तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उत्साहित हैं। भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार लगातार किसानों का धरना खत्म करने के लिए प्रयासरत है। पंजाब में भाजपा अपने दम पर पूरे जोश-खरोश के साथ चुनाव लड़ेगी।

किसान संगठनों के गुस्से के बीच पहली बार अपने दम पर चुनाव लड़ेगी भाजपा

राज्य में नौ नगर निगमों 109 नगर परिषद व नगर पंचायत के चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। ऐसे में भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती कृषि सुधार कानून आने के बाद से किसानों व ग्रामीण क्षेत्र में उत्पन्न हुए गुस्से को शांत करने की है। भाजपा के लिए राहत वाली बात यह है कि नौ नगर निगमों में शहरी मतदाताओं का प्रभाव है। इनमें से अधिकतर वे क्षेत्र हैं जहां भाजपा का पहले से ही मजबूत आधार रहा है। किसान आंदोलन के बाद से शहरी और ग्रामीण मतदाताओं का भी विभाजन हुआ है लेकिन भाजपा की बड़ी चिंता नगर परिषद को लेकर है।

पूरे जोश-खरोश के साथ चुनाव लड़ेंगे : अश्वनी शर्मा

नगर परिषद चुनावों में सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। भाजपा के महासचिव सुभाष शर्मा कहते हैं कि बड़ी संख्या में लोग भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण चार साल में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी का रिपोर्ट कार्ड इतना खराब है कि लोग अब कांग्रेस पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।

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पंजाब भाजपा भले ही निर्भीक होकर चुनाव की तैयारी में जुटी हो लेकिन भाजपा नेता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बगैर अकाली दल के चुनाव मैदान में उनकी ओप¨नग कैसी रहेगी। नगर निगम और नगर परिषद के चुनाव पर से यह संकेत मिलेगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव का रुख किस तरफ होगा। यही कारण है कि भाजपा नगर निगम चुनाव को बेहद गंभीरता से देख रही है। सुभाष शर्मा कहते हैं, किसानों को नजरंदाज बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार इस समस्या का हल ढूंढने में जुटी हुई है। उम्मीद है, बहुत जल्द इसका समाधान भी होगा और स्थिति भी सामान्य होगी।

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