धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी का बिल कल पंजाब विधानसभा में पेश, पर नहीं होगा पास; बढ़ाया जा सकता है सत्र
धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर सजा के प्रावधान को लेकर पंजाब सरकार ने जनता और धार्मिक नेताओं से राय लेने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि बिल विधानसभा में पेश किया जाएगा जिसके बाद सभी पक्षों की राय ली जाएगी। सरकार जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहती। इससे पहले भी इस मुद्दे पर कई बार प्रयास हुए हैं।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने पर सजा क्या हो? इस नतीजे पर न पहुंच पाने के कारण सरकार ने अब इस गेंद को आम लोगों, संबंधित पक्षों और धार्मिक नेताओं के पाले में सरका कर उनकी राय लेगी।
हालांकि, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कैबिनेट की बैठक के बाद यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार केवल बिल विधानसभा की पटल पर रखेगी, उसके बाद इसे विधानसभा की कंसलटेटिव कमेटी को साैंपकर सभी पक्षों की राय ली जाएगी।
उन्होंने कहा, यह बिल काफी बड़ा है और इसके बहुत लंबे समय तक दूरगामी प्रभाव होंगे इसलिए सरकार इसे जल्दबाजी में पारित नहीं करना चाहती। हम सभी धर्मों के नेताओं, आम लोगों आदि की राय लेंगे और उनसे पूछेंगे इसमें क्या संशोधन होना चाहिए।
दिलचस्प बात यह है कि बार-बार पूछने पर भी मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह नहीं बताया कि सरकार अपनी तरफ से बिल में सजा का क्या प्राविधान करने जा रही है? मुख्यमंत्री ने केवल इतना कहा, आप को सुबह बिल मिल जाएगा, जिसमें एक एक चीज लिखी होगी।
लेकिन बाद में उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने पर मौत की सजा ,बहुत कड़ी सज़ा होगी । इसका दुरुपयोग होने की आशंका है, जैसे दहेज अधिनियम का दुरुपयोग हो रहा है, फिर भी हम लोगों की राय के बाद ही कोई फैसला लेंगे।
उन्होंने कहा, बिल के ड्राफ्ट के लिए हमें समय चाहिए। यह एक बड़ा कानून है। यह हमेशा के लिए रहेगा। मान ने यह जरूर कहा कि यह बिल बेअदबी पर भारतीय न्याय संहिता में कोई धारा जोड़कर सजा बढ़ाने का प्राविधान करने की बजाए सरकार राज्य का अपना कानून बनाएगी।
कल फिर कैबिनेट होने की संभावना
सूत्रों का कहना है कि बेशक आज मुख्यमंत्री ने प्रेस कान्फ्रेंस में इस बिल संबंधी अपनी राय रखी है लेकिन आज कैबिनेट ने इसे मंजूरी नहीं दी है क्योंकि यह बिल अभी पेश ही नहीं हो सका है।
उन्होंने कहा, संभव है कि कल एक बार फिर से कैबिनेट की बैठक बुलाकर इसे मंजूरी दी जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो विधानसभा के सत्र को सोमवार तक के
लिए बढ़ाया भी जा सकता है। अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। कल होने वाली बिजनेस एडवाइजरी की बैठक के बाद ही पता चल पाएगा कि यह बिल कब पेश होगा।
फूंक-फूंककर कदम रख रही है सरकार
धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पंजाब में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। अक्टूबर 2015 में जब बरगाड़ी के गांव बुर्ज जवाहर से सिंह गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चोरी हुई और बाद में इसे अंगों को फाड़कर गलियों में बिखेर दिया गया तो कई सिख संगठन कोटकपूरा और बहिबल कलां में धरने पर बैठ गए।
दोनों जगह धरनों को हटाने के लिए पुलिस की ओर से की गई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई। पुलिस की इस कार्रवाई की तत्कालीन सरकार के खिलाफ लोगों ने जमकर भड़ास निकाली। 2017 में हुए आम चुनाव में अकाली-भाजपा सरकार को लोगों के भारी विरोध का खामियाजा भुगतना पड़ा।
दो बार से लगातार सत्ता में रहने वाली अकाली पार्टी मात्र 15 सीटों पर सिमट गई। माना जा रहा है कि राज्य में अभी भी गुस्सा बरकरार है।
हालांकि इसी बीच अकाली भाजपा सरकार ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों को मौत की सजा का प्राविधान करने वाला बिल पारित किया लेकिन केंद्र सरकार ने उसे यह कहकर लौटा दिया कि इसमें अन्य धर्म ग्रंथों को भी शामिल किया जाए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने 2018 में इसी बिल में संशोधन करते हुए सभी धर्म ग्रंथों की बेअदबी करने पर उम्र कैद की सजा का प्राविधान किया। लेकिन पांच साल तक यह पारित नहीं किया गया।
2023 में केंद्र सरकार ने इसे यह कहते हुए लौटा दिया कि आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता की रौशनी में पारित किया जाए। लेकिन अब सरकार अपना बिल लाने जा रही है।
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