बिक्रम मजीठिया ने गिरफ्तारी और रिमांड को बताया अवैध, हाईकोर्ट में दायर की याचिका; लगाए कई गंभीर आरोप
शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ एफआईआर राजनीतिक प्रतिशोध है और गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। न्यायालय ने मजीठिया के वकील को रिमांड आदेश पेश करने के लिए कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने अपनी हालिया गिरफ्तारी और रिमांड को अवैध बताते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर अब 4 जुलाई को सुनवाई होगी।
वीरवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस त्रिभुवन दहिया की पीठ ने मजीठिया के वकील को ताज़ा रिमांड आदेश पेश करने के लिए एक दिन का समय दिया। याचिका में मजीठिया ने कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और गिरफ्तारी पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध की साजिश है, जिसे मौजूदा सरकार द्वारा उन्हें बदनाम और परेशान करने के उद्देश्य से अंजाम दिया गया।
उन्होंने इसे “राजनीतिक बदले और उत्पीड़न” की संज्ञा दी है। मजीठिया ने कहा कि 25 जून को मोहाली स्थित विजिलेंस ब्यूरो थाने में दर्ज एफआईआर न केवल अवैध है, बल्कि उसी दिन सुबह उनके आवास से की गई गिरफ्तारी भी तय कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सुबह 9 बजे से 11:20 बजे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया, जबकि उनकी औपचारिक गिरफ्तारी 11:20 बजे दिखाई गई। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(2) और बीएनएसएस की धारा 187 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसी द्वारा दायर की गई रिमांड अर्जी में कोई ठोस या तात्कालिक जांच कारण नहीं है।
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