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    फर्जी GST बिलिंग घोटाले में 107 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपियों को जमानत, हाई कोर्ट ने जांच एजेंसियों को लगाई फटकार

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 03:41 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 107 करोड़ के जीएसटी घोटाले में शामिल दो आरोपियों को जमानत दे दी है। अदालत ने जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि गिरफ्तारी की बजाय मुकदमे के निष्पादन पर ध्यान देना चाहिए। आरोपियों पर फर्जी कंपनियां बनाकर 107 करोड़ का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।

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    फर्जी जीएसटी बिलिंग घोटाले में 107 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपितों को हाई कोर्ट से जमानत

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 107 करोड़ के जीएसटी घोटाले में नामजद दो आरोपितों को नियमित जमानत देते हुए न केवल उनके पक्ष में राहत दी, बल्कि केंद्रीय जीएसटी विभाग, खुफिया निदेशालय और टैक्स विभागों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए।

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    जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जब अपराध की जांच पूरी हो चुकी हो, चार्जशीट दाखिल हो चुकी हो, और ट्रायल की शुरुआत तक महीनों का विलंब हो, तब केवल इस आधार पर कि किसी अन्य सह-आरोपित की जांच अभी लंबित है एक अभियुक्त को जेल में रखना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता।

    4838 करोड़ की निकासी का खुलासा

    यह मामला वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा सौंपी गई एक संदिग्ध लेन-देन रिपोर्ट से शुरू हुआ, जिसमें एक बैंक की अंबाला कैंट और पंचकूला शाखाओं से 4,938.63 करोड़ की निकासी का खुलासा हुआ। रिपोर्ट में अमित कुमार गोयल द्वारा 262.4 करोड़ और उनके भाई मनीष कुमार द्वारा 455.02 करोड़ की नकद निकासी का उल्लेख था।

    जांच में यह भी सामने आया कि दोनों भाइयों ने 27 फर्जी फर्मों का निर्माण किया जिनमें से दो अमित कुमार के नाम पर थीं जबकि बाकी 25 फर्में उन व्यक्तियों के नाम से बनाई गई थीं जिनकी पहचान झूठे ढंग से हासिल की गई थी, परंतु मोबाइल नंबर और ईमेल अमित कुमार के थे।

    अभी आरोप पूरी करने की प्रक्रिया नहीं हुई पूरी

    याचिकाकर्तओं के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनको बिना वैध और समय पर नोटिस दिए गिरफ्तार किया गया। कोई भौतिक जांच या सत्यापन की रिपोर्ट याचिकाकर्ता को दी ही नहीं गई, जिससे उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं मिला।

    याचिकाकर्ता 9 अक्टूबर 2024 से जेल में हैं, और अभी तक केवल आरोप तय करने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई।

    जीएसटी की तरफ से कहा गया कि यह गंभीर आर्थिक अपराध है जिसमें आरोपितों ने जानबूझकर 27 फर्जी कंपनियां बनाईं और भारी मात्रा में फर्जी जीएसटी बिल बनाकर 107 करोड़ का नुकसान सरकार को पहुंचाया।

    सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में केवल एक ही सजा सुनाई गई है।

    अधिकांश मामलों में या तो गिरफ्तारी होती है पर मुकदमा लंबित रह जाता है, या जहां नोटिस दिए जाते हैं वहां गिरफ्तारी नहीं होती।ऐसा प्रतीत होता है कि एजेंसियां मुकदमे को निष्पादित करने के बजाय केवल गिरफ्तारी को ही अपनी सफलता मान बैठे हैं।