Punjab Haryana HC: यौन शोषण मामले में महिला की जमानत याचिका खारिज, पैसे लेकर नाबालिग का कई बार करवाया था दुष्कर्म
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की के यौन शोषण मामले में एक महिला आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता को नशा देकर पुरुषों के हवाले किया जिन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया। कोर्ट ने इस मामले को बाोल एवं मानव तस्करी गिरोहों की गहरी जड़ों का संकेत बताया और जमानत देने से इनकार कर दिया।

राज्य ब्यूरो, पंचकूला। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की का यौन शोषण के लिए आरोपितों के हवाले करने के मामले में एक महिला आरोपित को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया है।
अदालत ने टिप्पणी की कि यह मामला न केवल बाल यौन अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत करता है कि समाज के कमजोर तबकों में सक्रिय बाल एवं मानव तस्करी के गिरोहों की जड़ें कितनी गहरी होती जा रही हैं।
यह आदेश जस्टिस नमित कुमार ने रोहतक की एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिस पर नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर, नशा देकर और पैसों के बदले पुरुषों के हवाले करने का आरोप है, जिन्होंने बाद में पीड़िता के साथ राजस्थान में कई बार दुष्कर्म किया।
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पर्याप्त दस्तावेजी साक्ष्य हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि उसने नाबालिग को लालच देकर उसके साथ अपराध करने वालों की सहायता की।
पीड़िता के बयानों के अनुसार, आरोपित महिला और उसके साथियों ने पहले उसे नशा देकर बेहोश किया, फिर कपड़े बदलकर पैसे लेकर उसे अन्य आरोपिताें को सौंप दिया, जो उसे राजस्थान ले गए और दिनभर कई जगहों पर उसके साथ दुष्कर्म किया।
हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, "यदि इस प्रकार के अपराधियों को जमानत जैसे संरक्षण दिए गए तो यह समाज, विशेष रूप से कमजोर वर्गों में, गलत संदेश देगा।
कोर्ट ने पीड़िता के दो अलग-अलग बयानों में अंतर को भी जमानत का आधार मानने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि पहला बयान पुलिस हिरासत में मानसिक तनाव की स्थिति में दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा बयान पीड़िता के परिवार के पास लौटने के बाद सुरक्षित वातावरण में दर्ज किया गया, जिसमें उसने पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बयान किया।
पीठ ने यह भी कहा, इस प्रकार के मामले यह दर्शाते हैं कि कैसे बाल यौन शोषण की घटनाएं एक संगठित आपराधिक तंत्र का हिस्सा हो सकती हैं, और यह नेटवर्क विशेष रूप से गरीब और असहाय बच्चों को निशाना बनाते हैं।
अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह मामले की सुनवाई को प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द निष्कर्ष तक पहुंचाए। इस मामले में पुलिस स्टेशन रोहतक शहर में जुलाई 2022 में मामला दर्ज किया गया था।
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