ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा! चंडीगढ़ जनस्वास्थ्य विभाग में पानी के बिलों की वसूली अधर में, फाउंटेन प्रोजेक्ट में गलत भुगतान
हालिया ऑडिट रिपोर्ट में जनस्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली में कई कमियां पाई गई हैं। वित्तीय अनियमितताओं, प्रक्रियात्मक त्रुटियों और जवाबदेही की कमी की ओर इशारा किया गया है। रिपोर्ट में धन के दुरुपयोग, प्रक्रियाओं का पालन न करने और जिम्मेदारी तय न करने जैसे मुद्दे सामने आए हैं, जिससे पारदर्शिता और दक्षता में कमी आई है।

हाल ही में जारी ऑडिट रिपोर्ट में जनस्वास्थ्य विभाग में कई अनियमितताओं के बारे में पता चला है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। प्रशासन के जनस्वास्थ्य विभाग में वित्तीय और प्रशासनिक गड़बड़ियों का बड़ा खुलासा हुआ है। हाल ही में जारी ऑडिट रिपोर्ट में विभागीय कार्यों और भुगतानों से जुड़ी कई अनियमितताओं के बारे में पता चला है। रिपोर्ट प्रधान लेखा परीक्षक (केंद्र) के अधीन वरिष्ठ लेखा अधिकारी द्वारा तैयार की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग ने वर्षों पुराने पानी के बिलों की वसूली नहीं की। वर्ष 2013-14 में 2.55 लाख रुपये की वसूली अधर में पड़ी रही।
इतना ही नहीं, कई मामलों में अनुमोदित राशि से अधिक खर्च किया गया और उसका कोई ठोस हिसाब भी पेश नहीं किया गया। ऑडिट के दौरान फ्लोर फाउंटेन प्रोजेक्ट में सीपीडब्ल्यूडी मैनुअल के नियमों का घोर उल्लंघन पाया गया। न तो लाॅगबुक रखी गई, न ही तकनीकी कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की गई। कार्य की अवधि 17 जनवरी 2023 से 16 मार्च 2023 तय थी, लेकिन ठेकेदार ने 31 मई 2023 को काम पूरा किया। विस्तार की मंजूरी काम पूरा होने के बाद दी गई। रिपोर्ट में हिडन मैटेरियल के परीक्षण में लापरवाही उजागर हुई है।
ठेकेदार द्वारा जमा किए गए परीक्षण प्रमाण पत्र कार्य शुरू होने से पहले के पाए गए। निरीक्षण रजिस्टर और प्रोग्राम चार्ट भी साइट पर मौजूद नहीं थे। ऑडिट टीम को साइट पर काम करने वाले कर्मचारियों के ईएसआई और ईपीएफ से जुड़े दस्तावेज नहीं दिखाए गए। इससे ठेकेदार को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचने की संभावना जताई गई है। हालांकि ऑडिट अधिकारी ने यह भी उल्लेख किया है कि विभागीय अधिकारियों ने जांच में सहयोग किया, जिससे रिपोर्ट समय पर तैयार हो सकी। फिलहाल विभाग से अंतिम कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है, जिसका इंतज़ार किया जा रहा है। आरके गर्ग ने सूचना के अधिकार के तहत ऑडिट विभाग की यह रिपोर्ट हासिल की है।
ऑडिट रिपोर्ट कुछ अन्य खामियां भी आई सामने
-विभाग ने कबाड़ (स्क्रैप) की नीलामी नहीं की।
-तकनीकी स्टाफ की अनुपस्थिति के बावजूद ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया।
-कार्य विश्लेषण रिपोर्ट अधूरी रही।
-कई वित्तीय वर्षों के वाउचर और रिकार्ड ऑडिट टीम को नहीं दिखाए गए।

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