Hey.... मुझसे दोस्ती करोगी? महिला से ऐसा कहना अपराध नहीं, पढ़िए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट की टिप्पणी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि बिना सहमति महिला से बातचीत की कोशिश करना लज्जा भंग नहीं है भले ही यह अप्रिय लगे। कोर्ट ने रोहतक पीजीआई के एक मामले में धारा 354 के तहत कार्यवाही रद कर दी क्योंकि महिला ने खुद माना कि आरोपी ने केवल बात करने की कोशिश की और कोई बल प्रयोग नहीं किया।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी महिला से बिना उसकी इच्छा के बातचीत शुरू करने का प्रयास करना लज्जा भंग के दायरे में नहीं आता, भले ही महिला को ऐसा करना अप्रिय या परेशान करने वाला लगे।
इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत उसकी मर्यादा भंग का अपराध नहीं माना जा सकता। जस्टिस कीर्ति सिंह की एकल पीठ ने कहा कि अभिलेख के अनुसार शिकायतकर्ता (महिला डाक्टर) ने स्वयं स्वीकार किया है कि आरोपित ने केवल बातचीत की कोशिश की और उसके इंकार करने पर तुरंत स्थान छोड़ दिया।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कृत्य परेशान करने वाला या अप्रिय लग सकता है, लेकिन इसे ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इससे किसी महिला की शालीनता या मर्यादा पर गंभीर आघात हुआ हो। जब अभियोजन के रिकॉर्ड में किसी प्रकार के आपराधिक बल के प्रयोग का उल्लेख तक नहीं है, तब धारा 354 आइपीसी के आवश्यक तत्व इस मामले में प्रारंभिक स्तर पर भी सिद्ध नहीं होते।
रोहतक के पीजीआई की लाइब्रेरी से जुड़ा है मामला
मामला रोहतक स्थित पीजीआई की लाइब्रेरी से जुड़ा है, जहां आरोपित ने शिकायतकर्ता के पास बैठकर “हेय” कहा और बातचीत शुरू करने की कोशिश की। महिला ने बार-बार कहा कि वह बात नहीं करना चाहती। इसके बाद आरोपित चला गया।
शिकायतकर्ता ने भी अपने बयान में स्वीकार किया कि न तो उसने कोई आपत्ति दर्ज कराई थी और न ही आरोपित ने किसी प्रकार का बल प्रयोग किया। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि ऐसी परिस्थितियों में मुकदमे की कार्यवाही जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि धारा 354 आइपीसी लागू करने के लिए महिला के खिलाफ आपराधिक बल का प्रयोग और उसकी मर्यादा भंग करने का इरादा होना आवश्यक है। हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद पीजीआइ पुलिस थाने (रोहतक) में दर्ज और चार्ज फ्रेमिंग आदेश सहित आगे की कार्यवाही को रद कर दिया।
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