Updated: Wed, 10 Sep 2025 11:15 AM (IST)
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि हथियारों से लैस आतंकियों को जिंदा पकड़ना भी एनकाउंटर माना जाएगा। कोर्ट ने पुलिसकर्मियों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि आतंकियों को गिरफ्तार करना सराहनीय है। कोर्ट ने सोनम कंबोज को पुलिस भर्ती में आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया क्योंकि उनके पिता ने आतंकियों को गिरफ्तार किया था जिसे पहले एनकाउंटर नहीं माना गया था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि हथियारों से लैस आतंकियों को जीवित पकड़ना भी ‘एनकाउंटर’ की श्रेणी में गिना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि आतंकियों को मारने की बजाय यदि पुलिसकर्मी उन्हें गिरफ्तार करते हैं तो यह उनकी बहादुरी व कर्तव्यनिष्ठा का बड़ा उदाहरण है।
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ऐसे मामलों में संबंधित पुलिसकर्मियों के परिजनों को भर्ती में आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। यह आदेश जस्टिस जगमोहन बंसल ने सुनाया। मामला बठिंडा निवासी सोनम कंबोज की याचिका से जुड़ा है। सोनम ने पंजाब पुलिस भर्ती में उस आरक्षित श्रेणी में आवेदन किया था जो उन पुलिसकर्मियों के परिजनों के लिए है जिन्होंने कम से कम तीन एनकाउंटर में हिस्सा लिया हो।
उन्होंने इसके समर्थन में डीआइजी पटियाला रेंज द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत किया था। हालांकि, डीजीपी की समिति ने उनकी पात्रता खारिज कर दी। समिति का कहना था कि सोनम के पिता ने केवल दो एनकाउंटरों में भाग लिया है। तीसरे मामले में केवल चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें गोलीबारी नहीं हुई, इसलिए उसे एनकाउंटर नहीं माना जा सकता।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार का यह तर्क ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा कि वर्ष 1996 की नीति एक लाभकारी प्रविधान है जिसका उद्देश्य ईमानदार व बहादुर पुलिस अधिकारियों को प्रोत्साहित करना है। ‘एनकाउंटर’ का अर्थ केवल गोलीबारी या हताहत होना नहीं है।
यदि पुलिस ने हथियारों और आपत्तिजनक सामग्री के साथ आतंकियों को गिरफ्तार किया है तो इसे भी एनकाउंटर ही माना जाएगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि सोनम कंबोज को भर्ती में आरक्षण का लाभ दिया जाए और उन्हें छह सप्ताह के भीतर पुलिस विभाग में नियुक्ति प्रदान की जाए। साथ ही उनकी नियुक्ति तिथि को उनकी वास्तविक ज्वाइनिंग तिथि माना जाएगा।
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