अनु मलिक बोले- मुझे गालियां भी मिलीं और तालियां भी
अनु मलिक ने कहा कि लोगों को पता ही नहीं कि मैंने अशोका जैसी फिल्म में भी संगीत दिया है। वे बस 'ऊंची है बिल्डिंग' गीत को सुनकर मुझे जज करने लगते हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। कुछ लोग मेरे पास आते हैं कि मैंने 'टन टनाटन टन टन टारा' जैसे गीत गाए कंपोज किए। वे मुझे बुरा कहते हैं। मगर फिर हैरान रह जाते हैं कि मैंने 'ये मोह-मोह के धागे' जैसा गीत भी बना दिया। वे शर्मिंदा होते हैं। मेरे पास आते हैं और माफी मांगते हैं। मगर मुझे ये चीजें छोटा या बड़ा नहीं बनाती। मैं इन चीजों से ऊपर उठ चुका हूं। लोगों को पता ही नहीं कि मैंने अशोका जैसी फिल्म में भी संगीत दिया है। वे बस 'ऊंची है बिल्डिंग' गीत को सुनकर मुझे जज करने लगते हैं। मगर मैं खुश हूं और पिछले तीस साल से यूं ही काम कर रहा हूं। अनु मलिक का यह जवाब उन आलोचकों के लिए था, जो अक्सर उन्हें उनके गीतों के लिए टोकते रहे। होटल जेडब्ल्यू मैरियट सेक्टर-35 में अनु छठी बिग मैराथन को लॉन्च करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अपने करियर पर खुल कर बात की।
आरडी बर्मन को पहली बार सुना और आज तक संगीत बना रहा हूं
ऊंची है बिल्डिंग और मोह मोह के धागे दोनों एक दम अलग हैं। आप हर उम्र के हिसाब से संगीत कैसे गढ़ लेते हैैं? इस पर अनु ने कहा कि शायद इसमें उसी व्यक्ति का हाथ है, जिसकी वजह से मेरे अंदर धुनों की धुन जागी। आरडी बर्मन की धुन बचपन में रेडियो पर सुनी और उसको समझने लगा। कैसे गिटार, ड्रम और कितनी ही तरह के वाद्य यंत्र का प्रयोग वह करते थे और किस स्केल पर। 70 के दशक में उनका संगीत काफी एक्सपेरीमेंटल था, जिसने मुझे भी ऐसे-ऐसे एक्सपेरीमेंट करने को मजबूर कर दिया। कई बार तो फिल्म निर्देशक मुझे स्टूडियो से ही बाहर भेज देते थे।
जावेद अख्तर मुझसे नाराज हुए और उठकर चल दिए
मैंने हमेशा कहा है कि मेरे संगीत को सुनकर लोग नाराज हो जाते हैं। जावेद अख्तर जब फिल्म 'मैं हू ना' के लिए कव्वाली 'तुमसे मिलकर दिल को जो है हाल क्या करें' लिख रहे थे तो मैंने उन्हें धुन सुनाई। मैंने कहा कि यह आम कव्वाली नहीं होगी। इसमें युवापन होगा, तेज होगी। इसकी शुरआत ही वीकेड, लेट्स गो जैसे शब्दों से होगी। जावेद अख्तर साहब ने यह सुना तो गुस्सा हो गए। बोले कि यह वीकेड क्या होता है? वह उठ कर चल दिए मगर उन्हें बड़ी मुश्किल से फिर अपनी धुन सुनाई और लिखने के लिए कहा। आखिरकार वह कव्वाली बनी और हिट रही।
'ये काली काली आंखें' बनाते वक्त सबने पागल घोषित कर दिया था
90 के दशक को याद करते हुए अनु बोले कि वह दशक संगीत के लिए एक यात्रा थी। मुझे याद है बाजीगर फिल्म के समय मैं गाना 'काली काली आंखे' तैयार कर रहा था। उस दौरान मैंने चार लड़कियों को खड़ा कर धुन निकाली 'ओ..ओ ओए ओ.. ओओ... ओएओ'। फिल्म के निर्देशक सामने बैठे थे। बोले यह क्या बकवास है। मैंने कहा थोड़ी रुकिए तो सही, मगर उन्होंने नहीं सुनी और मुझे स्टूडियो के बाहर ही निकाल दिया। जैसे-तैसे वह माने। फिर मैंने गाने में रैप भी शामिल किया। जब भारत में रैप किसी ने ज्यादा सुना ही नहीं था। उसके बाद तो यह गीत हर किसी को याद ही हो गया।
एक अप्रैल को होगी मैराथन
अनु ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वह चंडीगढ़ में मैराथन को लॉन्च करने पहुंचे। मैंने एक बार पांच किलोमीटर ट्रेडमिल पर दौड़ लगाई थी। उसके बाद मेरा बुरा हाल हो गया था। मगर सेहत के लिए यह बेहतर है। हमें इसको निरंतर करना चाहिए। मैराथन एक अप्रैल को सुखना लेक से शुरू होगी।
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