बचाओ बचपन बचाओ के नारे लगा आंगनबाड़ी वर्कर्स ने किया प्रदर्शन
आल इंडिया फेडरेशन आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर के आह्वान पर सोमवार को आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन पंजाब (सीटू) ने बचाओ बचपन बचाओ के नारों के साथ रोष मार्च निकाला और डीसी दफ्तर के बाहर धरना दिया।
जागरण संवाददाता, मोहाली : आल इंडिया फेडरेशन आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर के आह्वान पर सोमवार को आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन पंजाब (सीटू) ने बचाओ बचपन बचाओ के नारों के साथ रोष मार्च निकाला और डीसी दफ्तर के बाहर धरना दिया। आंगनबाड़ी वर्कर के जिला जनरल सचिव गुरदीप कौर व भूपिदर प्रधान खरड़ की अगुआई में प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र एसडीएम हरबंस सिंह को सौंपा। रैली को संबोधित करते हुए भूपिदर कौर ने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर 1975 से संगठित बाल विकास सेवाएं स्कीम के तहत बच्चों में फैले कुपोषण की सबसे बड़ी चुनौती के साथ लड़ते हुए देश की सेवा कर रही हैं। जहां देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं 2021 के ग्लोबल हंगल इंडेक्स, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की वार्षिक रिपोर्ट ने 116 देशों में भारत का 101वां स्थान दर्ज करके भूख को भारत के लिए गंभीर समस्या बताया है। उन्होंने कहा कि आइसीडीएस में 8.5 करोड़ के करीब गर्भवती व नर्सिग मां, 14 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार पोषण मां जैसे प्रोग्राम चलाकर कुपोषण को दूर करने का नाटक करती है और दूसरी तरफ भारत सरकार आइसीडीएस में अलाटमेंट में लगातार कटौती करना, लाभार्थियों को निशाना बनाना, लाभ के लिए गैर कानूनी ढंग से आधारित करना, पोषण मटका जैसे प्रोग्राम शुरू करना, लोगों को पोषण के लिए अनाज इकट्ठा करने के लिए वर्करों को जरूरी करना शामिल है।
सरकार ने कारपोरेट गैर सरकारी संगठनों को आइसीडीएस में लाया जा रहा है। देश के कई हिस्सों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं हेल्परों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है, जो न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है। कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायकों की कोविड-19 के दौरान जान चली गई है। लेकिन भारत सरकार ने अभी तक कोई जोखिम भत्ता या मुआवजा प्रदान नहीं किया है। इन सभी मुद्दों के मद्देनजर पूरे भारत में सोमवार को एक दिन का विरोध व प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजकर विभाग को आइसीडीएस स्थानांतरित करने की मांगकी है।
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