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    Amritpal: किसी के कहने पर सरबत खालसा बुलाया जाए, ये कोई मजाक नहीं; एक भगोड़ा कैसे दे सकता है जत्थेदार को सलाह?

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Vinodiya
    Updated: Thu, 30 Mar 2023 11:25 PM (IST)

    वारिस पंजाब दे प्रमुख और अलगाववादी अमृतपाल के सरबत खालसा बुलाने की मांग से सिख समुदाय के अनुयायी हैरान हो गए हैं। उनका कहना है कि यह कोई मजाक नहीं है जो किसी के कहने पर सरबत खालसा बुला लिया जाए।

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    किसी के कहने पर सरबत खालसा बुलाया जाए, ये मजाक नहीं; एक भगोड़ा कैसे दे सकता है जत्थेदार को सलाह?

    चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो : वारिस पंजाब दे प्रमुख और अलगाववादी अमृतपाल के सरबत खालसा बुलाने की मांग से सिख समुदाय के अनुयायी हैरान हो गए हैं। उनका कहना है कि यह कोई मजाक नहीं है, जो किसी के कहने पर सरबत खालसा बुला लिया जाए। उनका मानना है कि ऐसे लोग सिख समुदाय में भ्रम पैदा करना चाहते हैं। मौजूदा हालात में सिख संस्थाओं की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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    “भगोड़ा नहीं दे सकता जत्थेदार को राय”

    मालूम हो कि फरारी के 12 दिन बाद अमृतपाल ने बुधवार को वीडियो जारी कर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से सरबत खालसा बुलाने की मांग की थी। साथ ही, सिख संगत से सरबत खालसा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील भी की थी। एसजीपीसी के सिख इतिहास बोर्ड के निदेशक रहे अनुराग सिंह का कहना है कि सरबत खालसा को बुलाने का एक विधि विधान है और वह किसी के भी कहने पर नहीं बुलाया जा सकता। एक भगोड़ा कैसे जत्थेदार को राय दे सकता है।

    अमृतपाल ने खुद को भारत का नागरिक कहने से किया था इनकार

    पंजाब यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख रहे प्रो. मनजीत सिंह का कहना है कि आज स्थितियां बेहद खतरनाक है। खासतौर पर बुद्धिजीवियों का इस पर खामोश रहना व विरोध न करना और भी चिंताजनक है। सरकार का भी अमृतपाल की गतिविधियों का विरोध न करना हालात को बिगाड़ने में सहायक रहा है। प्रो. मनजीत ने जत्थेदार से सवाल किया कि जब अमृतपाल ने खुद को भारत का नागरिक कहने से इनकार कर अन्य समुदायों के खिलाफ मोर्चा खोला तो उन्होंने उसे सलाह क्यों नहीं दी?

    राजनीति से धर्म को बाहर रखा जाए - प्रो. मनजीत सिंह

    प्रो. मनजीत सिंह ने कहा कि उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि अमृतपाल कौन होता है उन्हें सरबत खालसा बुलाने की सलाह देने वाला। उन्होंने कहा कि धर्म को जितना राजनीति में लाया जाएगा उससे ऐसे हालात बनने स्वाभाविक हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों की उस टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि राजनीति से धर्म को बाहर रखा जाए, अन्यथा लोग परेशान होते रहेंगे।

    सिखों को पीड़ित दिखाने में गलत तरीके का हो रहा इस्तेमाल

    प्रो. इकबाल सिंह ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खालसा मार्च शुरू करने के फैसले को लेकर भी विद्वान सहमत नहीं हैं। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के प्रो. इकबाल सिंह ढिल्लों ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार शिरोमणि अकाली दल के इशारे पर पूरे सिख समुदाय को गलत ढंग से पीड़ित के रूप में पेश कर रहे हैं। जब अमृतपाल सरकारों को धमका रहा था तो उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा। बीते दिनों श्री अकाल तख्त पर बुलाई गई बैठक में शामिल लोग शिरोमणि अकाली दल बादल के ही थे। वह स्वतंत्र सिख सभा नहीं थी।