Stubble Burning: प्रदूषण की दोहरी मार, पटाखों के साथ जमकर जली पराली, पंजाब में टूट गए सारे रिकॉर्ड
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। तरनतारन और अमृतसर जिलों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार ने जुर्माना लगाया है और एफआईआर दर्ज की हैं, लेकिन किसान पराली जलाना जारी रखे हुए हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है।

पंजाब में पराली से बढ़ा प्रदूषण (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या 308 तक पहुंच गई है। तरनतारन और अमृतसर जिलों में ऐसे मामलों की संख्या 113 पहुंच गई, जो सबसे अधिक है।
तरनतारन जिले में अब तक पंजाब में पराली जलाने के अधिकतम मामले देखे गए हैं। इसके बाद अमृतसर में 104 मामले हैं, क्योंकि कई किसान राज्य सरकार की इस प्रथा को रोकने की अपील की अनदेखी करते हुए फसल अवशेष जलाना जारी रखते हैं। इस तरह दीवाली के मौके पर पराली की घटनाओं में बढ़ोतरी होने से प्रदूषण बढ़ गया है।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ा प्रदूषण
दिल्ली-NCR के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 पार पहुंच गया है। इस तरह राजधानी के कई इलाके रेड जोन में आ गए हैं। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
चूंकि अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद रबी की फसल, गेहूं की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कई किसान अगली फसल की बुवाई के लिए अवशेषों को साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं।
पंजाब में पराली से बुरा हाल
आंकड़ों के अनुसार, अन्य जिलों में फिरोजपुर में 16, पटियाला में 15 और गुरदासपुर में सात पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। पिछले सप्ताह खेतों में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी का संकेत देते हुए, पराली जलाने की घटनाएं 11 अक्टूबर को 116 से बढ़कर 308 तक पहुंच गईं। पीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 132 मामलों में पर्यावरण मुआवजे के रूप में 6.5 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।
कुल जुर्माने में से 4.70 लाख रुपये से अधिक की वसूली की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त, पराली जलाने की घटनाओं को लेकर 147 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें तरनतारन में 61 और अमृतसर में 37 शामिल हैं।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा घोषित आदेशों की अवज्ञा) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। पंजाब में 2024 में पराली जलाने की 10,909 घटनाएँ हुईं, जबकि 2023 में यह संख्या 36,663 थी।
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