Updated: Sat, 27 Sep 2025 08:32 PM (IST)
पंजाब में बाढ़ से तबाह हुए खेतों को लेकर कृषि विशेषज्ञ सकारात्मक दृष्टिकोण रख रहे हैं। उनका मानना है कि पहाड़ों से आई मिट्टी में मौजूद मिनरल खेतों की उपजाऊ शक्ति को बढ़ा सकते हैं। पीएयू किसानों को मुफ्त मिट्टी जांच की सुविधा दे रही है ताकि वे जान सकें कि कौन सी फसलें उनके खेतों के लिए उपयुक्त हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में इस बार बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। पांच लाख एकड़ में धान और अन्य फसलें तबाह हो गईं। बाढ़ के पानी के साथ आई पहाड़ी मिट्टी, रेत आदि ने उनके खेतों में पांच-पांच फीट के टीले बना दिए हैं। इतनी ज्यादा मिट्टी को निकालना कोई आसान काम नहीं है।
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पहाड़ों से आई यह मिट्टी और रेत किसानों के लिए परेशानी का कारण तो है ही लेकिन इस तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है। कृषि माहिरों का मानना है कि पहाड़ों से पानी के साथ आई मिट्टी के साथ बहुत से मिनरल भी आए हैं जो अब खेतों में जमा हो गए हैं।
यह मिनरल खेतों की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के वाइस चांसलर डा.एसएस गोसल की मानें तो किसानों को ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है। उनका मानना है कि पहाड़ों से आई मिट्टी में मिनरल अधिक होने के कारण किसानों को इसका लाभ हो सकता है लेकिन इसके लिए पहले मिट्टी की जांच करनी जरूरी है।
तभी यह साबित हो पाएगा कि जिन फसलों को हमारे किसान लगाते हैं क्या पहाड़ों से आई हुई मिट्टी उसके लिए उपयुक्त है कि नहीं। उन्होंने बताया कि लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में शुक्रवार से शुरू हुए दो दिवसीय किसान मेले में बड़ी संख्या में बाढ़ प्रभावित किसान अपनी मिट्टी को लेकर आए हैं।
इस मिट्टी की पीएयू के विज्ञानी जांच करेंगे ताकि पता चल सके कि वे कौन सी फसलें इसमें लगा सकते हैं। डा. गोसल ने बताया कि पीएयू की ओर से मिट्टी की जांच निश्शुल्क की जा रही है। यही नहीं, जांच रिपोर्ट किसानों को उनके मोबाइल नंबर के व्हाट्सएप पर भी भेजी जाएगी। इसके अलावा किसान यूनिवर्सिटी के बेवसाइट पर जाकर सायल व वाटर टेस्टिंग रिपोर्ट के आप्शन पर क्लिक करके अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर रिपोर्ट भी हासिल कर सकते हैं।
डा. गोसल के अनुसार मेले में मिट्टी की जांच को लेकर कई काउंटर बना रखे थे। ज्यादातर किसान गुरदासपुर, अमृतसर, एसबीएस नगर व लुधियाना से पहुंचे थे। वहीं, कई किसान अपने यहां के पानी की जांच कराने के लिए कांच की बोतलों में पानी के सैंपल लेकर पहुंचे थे।
उ ल्लेखनीय है कि अक्टूबर महीने के अंत में गेहूं की बुवाई शुरू होती है और साथ ही सब्जियां भी लगाई जाती हैं। किसान जानना चाहते हैं कि पहाड़ों से आई मिट्टी क्या उनका नुकसान तो नहीं कर देगी? अगर फायदा करेगी तो क्या रासायनिक खादें उतनी ही डाली जाएं या इसमें कमी की जाए।
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