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    दिल्ली में आम आदमी पार्टी की शिकस्त पंजाब के लिए वार्निंग, केजरीवाल और सिसोदिया की हार से क्या होंगे बदलाव

    आम आदमी पार्टी की दिल्ली में हार पंजाब के लिए चेतावनी है। पार्टी के बड़े दिग्गजों की हार से चिंतित नेता बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। पंजाबी बाहुल सीटों पर हार से पार्टी की चिंता बढ़ी है। सिख समाज नाराज है क्योंकि दोनों कार्यकाल में एक भी सिख को मंत्री नहीं बनाया गया। हालांकि भाजपा ने हरदीप पुरी और रवनीत बिट्टू जैसे नेताओं को बड़े पद दिए हैं।

    By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 08 Feb 2025 11:30 PM (IST)
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    दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी की दिल्ली में हुई हार पंजाब के लिए वार्निंग है। ऐसा मानना है , पंजाब के एक सीनियर मंत्री का। पार्टी के नेता यह महसूस कर रहे हैं कि पार्टी के बड़े दिग्गजों का हारना उनके लिए सही नहीं है।

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    आने वाले दिनों में वह बड़े स्तर पर बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन यह प्रशासनिक होगा या राजनीतिक... सबसे बड़ा सवाल यह है। पार्टी के इन सीनियर नेताओं का मानना है कि सरकार में नए सिरे से फैसले लेने होंगे क्योंकि पार्टी को इस बात की चिंता है कि दिल्ली की पंजाबी बाहुल सीटों पर पार्टी को बुरी तरह से हार मिली है जबकि पिछले चुनाव के दौरान यही पार्टी का मजबूत वर्ग था।

    पार्टी के उन सीनियर विधायकों जिनकी ड्यूटी पंजाबी बाहुल सीटों पर लगी हुई थी, ने बताया कि उन्होंने इन सीटों की कई गुरुद्वारा कमेटियों से बात की और सभी ने कहा कि इस बार वे आम आदमी पार्टी के पक्ष में वोट नहीं करेंगे।

    कारणों के बारे में उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी को पूरे पंजाबी और विशेष रूप से सिख समाज ने वोट दिए और डटकर मदद भी की लेकिन दोनों कार्यकाल में एक भी सिख को मंत्री नहीं बनाया गया।

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    'बीजेपी को सिख ज्यादा पसंद नहीं करते'

    उन्होंने बताया कि गुरुद्वारा कमेटियों के लोगों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी को सिख ज्यादा पसंद नहीं करते। पंजाब में भाजपा को मिलने वाले वोट उसका उदाहरण हैं। लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने हरदीप पुरी और रवनीत बिट्टू जैसे नेताओ को केंद्र में बड़े मंत्री पद दे रखे हैं।

    यहां तक कि उनके लिए दूसरे राज्यों से राज्यसभा सीटों का प्रबंध किया गया है। उन्होंने बताया कि यह एक जगह पर नहीं हुआ, कई सीटों पर ऐसा सुनने को मिला जिससे हमें अंदाजा हो गया था कि इस बार सिखों और पंजाबियों की वोट हमें नहीं मिलेगी।

    विधायकों ने इस बात पर उम्मीद जताई कि तीन सीनियर सिख नेता भाजपा की टिकटों पर जीते हैं, जिनमें मनजिंदर सिंह सिरसा, तरविंदर सिंह मारवाहा और अरविंदर सिंह लवली... इनमें से किसी एक को निश्चित तौर पर भाजपा मंत्री पद से नवाजेगी।

    'महिलाओं को 2100 रुपये देना का किया था वादा'

    उन्होंने बताया कि कई गुरुद्वारा कमेटियों ने दविंदरपाल भुल्लर का मामला भी उठाया जिस पर आप की सरकार ने फैसला लेना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

    यह भी उनकी नाराजगी का कारण बना। उन्होंने बताया कि हमने महिलाओं को 2100 रुपये देने का वादा किया था लेकिन जब भी हम इस वादे का प्रचार करते तो लोग कहते , पंजाब में तो आप की सरकार है। वहां तो 1000 रुपये देने का वादा भी पूरा नहीं किया।

    उधर, ब्यूरोक्रेसी भी आप की जीत और हार पर नजरें गड़ाए हुए थी। उनको लग रहा है कि अब पार्टी की वहां हार हो गई है और बड़े दिग्गज नेता हार गए हैं ऐसे में वे पंजाब में ही आएंगे।

    वे यहां आकर बड़े स्तर पर फेरबदल करेंगे और अपेक्षा करेंगे कि जिन कामों का हमने वादा किया है, वे पूरे हों लेकिन पैसे के बिना इन कामों को पूरा करने टेढ़ी खीर है।

    उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि चुनाव में जाने से पूर्व अगर सरकार ने 1000 रुपये महिलाओं को हर महीने देने का ऐलान किया तो इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये की राशि कहां से लाई जाएगी। अगर आयकर अदा करने वाली या अन्य संपन्न महिलाओं को निकाल भी दिया जाए तो भी सात से आठ हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था तो करनी ही होगी।

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