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    ट्रक चालक की लापरवाही से गई युवक की जान, परिवार को मिलेगा 26.97 लाख मुआवजा

    By Ravi Atwal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sun, 07 Sep 2025 07:52 PM (IST)

    चंडीगढ़ मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सड़क हादसे में जान गंवाने वाले हृदयानंद के परिवार को 26.97 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। 19 नवंबर 2021 को चालक की लापरवाही से ट्रक पलटने के कारण हृदयानंद की मृत्यु हो गई थी। ट्रिब्यूनल ने चालक को जिम्मेदार ठहराते हुए बीमा कंपनी को मुआवजा भरने का आदेश दिया। परिवार ने 40 लाख रुपये की मांग की थी।

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    चंडीगढ़ स्थित मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सुनाया फैसला।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सड़क हादसे में जान गंवाने वाले एक युवक के परिवार को 26.97 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। यह आदेश मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सुनाया है। मामला 19 नवंबर 2021 का है। 34 वर्षीय हृदयानंद, जो कि कृष्णा फूडलैंड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करते थे। कंपनी का सामान लेकर ट्रक से सोलन जा रहे थे।

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    ट्रक को मुनीष कुमार नामक चालक चला रहा था। आरोप है कि चालक तेज रफ्तार और लापरवाही से ट्रक चला रहा था। जब ट्रक परवाणु के पास पहुंचा तो चालक ने संतुलन खो दिया और ट्रक पलट गया। इस दुर्घटना में हृदयानंद गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत परवाणु के ईएसआइ अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

    ह्दयानंद के परिवार ने ट्रक चालक, मालिक और बीमा कंपनी के खिलाफ चंडीगढ़ में याचिका दाखिल की थी। परिजनों ने तर्क दिया कि हादसा चालक की लापरवाही से हुआ, इसलिए उन्हें उचित मुआवजा मिलना चाहिए।

    ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान माना कि दुर्घटना चालक की लापरवाही से हुई थी। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने चालक  जिम्मेदार ठहराया और हृदयानंद के परिवार को 26.97 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। हालांकि, मुआवजे की रकम बीमा कंपनी को भरनी होगी। 

    हृदयानंद पर थी परिवार की जिम्मेदारी

    परिवार ने याचिका में कहा कि हृदयानंद पर परिवार की जिम्मेदारी थी। उनकी उम्र महज 34 साल थी। उनकी महीने की कमाई करीब 21 हजार रुपये थी। ऐसे में परिवार ने 40 लाख रुपये मुआवजे की मांग की। वहीं ट्रक मालिक ने याचिका में कहा कि वाहन में अचानक कोई तकनीकी खराबी आ गई थी। इसलिए हृदयानंद ने अचानक ट्रक से छलांग लगा दी थी।

    इसलिए इस हादसे में चालक की कोई लापरवाही नहीं थी। इस आधार पर उन्होंने याचिका को खारिज करने की मांग की। हालांकि ट्रिब्यूनल ने इस दलील को नहीं माना और पीड़ित परिवार के हक में फैसला सुनाया। 

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