चंडीगढ़ में निजी अस्पताल की लापरवाही से महिला ने गंवाई अंगुलियां, मिलेगा 50 लाख रुपये हर्जाना
चंडीगढ़ के हीलिंग अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है। एक महिला के हाथ में गलत इलाज के कारण गैंग्रीन फैल गया जिससे उसकी चार उंगलियां काटनी पड़ीं। उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल को दोषी ठहराते हुए 50 लाख रुपये का हर्जाना भरने का आदेश दिया है। पीड़िता ने अस्पताल के डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद आयोग ने यह फैसला सुनाया।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सेक्टर-34 स्थित हीलिंग अस्पताल की लापरवाही के कारण एक महिला को बाएं हाथ की चार अंगुलियां काटनी पड़ी थी। जिला उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल, इसके चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट डाॅ.संदीप पाल, न्यूरोमेडिसिन स्पेशलिस्ट डाॅ.जेपी सिंघवी और कास्मेटिक एंड प्लास्टिक सर्जन डाॅ.मनिंदर कौर बेदी को सेवा में लापरवाही का दोषी ठहराया है। साथ ही, 50 लाख रुपये हर्जाना भरने के निर्देश दिए हैं।
मोहाली के सेक्टर-69 में रहने वाली 45 वर्षीय गुरमीत कौर ने जिला उपभोक्ता आयोग में अस्पताल के खिलाफ याचिका दायर कर मुआवजा दिए जाने की मांग की थी। उसने बताया कि वह 25 नवंबर 2020 को वह हीलिंग अस्पताल में दाखिल हुई थीं। उन्हें सिर, पेट और पीठ में दर्द था और उल्टियां भी हो रही थी। डाॅक्टरों ने तुरंत उनका इलाज शुरू कर दिया और एंटीबायोक्टिक्स देने के लिए उनके बाएं हाथ में कैनुला लगा दिया। कुछ दिनों बाद उनके हाथ में सूजन आ गई और दर्द भी होने लगा।
डाॅक्टरों ने कहा कि यह आम बात है। थोड़े दिनों में वह ठीक हो जाएंगी। हालांकि दर्द कम होने के बजाय बढ़ता ही गया। 29 नवंबर 2020 को उनका हाथ नीला पड़ने लगा। अब डाॅक्टरों को भी चिंता होने लगा। पता चला कि उनके हाथ में गैंगरीन फैल गया था। डाॅक्टरों ने तुरंत सर्जरी करने का फैसला लिया, लेकिन उनकी हालत काफी बिगड़ गई थी, इसलिए उन्हें पीजीआई रेफर कर दिया गया।
पीजीआई में काटनी पड़ी अंगुलियां
हीलिंग अस्पताल के डाॅक्टरों ने उनके घाव पर अच्छे से पट्टियां भी नहीं की। घाव को खुला छोड़ दिया और उन्हें एंबुलेंस से पीजीआई भेज दिया। वहां उनका इलाज शुरू किया गया, हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी। पीजीआई के डाॅक्टरों को उनके बाएं हाथ की चार अंगुलियां काटनी पड़ी।
28.26 लाख रुपये में लगवाना पड़ा कृत्रिम हाथ
गुरमीत ने कहा कि वह सारे काम बाएं हाथ से करती थी, इसलिए कारण उनका जीवन मुश्किल हो गया। अब वह अपने परिवार पर निर्भर रहने लगी। वह 85 प्रतिशत दिव्यांग हो चुकी थीं। उन्हें कृत्रिम हाथ बनवाना पड़ा जिसकी कीमत करीब 28.26 लाख रुपये थी।
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