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    शिक्षक का घर पर आया फोन, दो विषयों कम नंबर आने से निराश हुआ नौंवी का छात्र, लगा लिया फंदा

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 07:10 PM (IST)

    चंडीगढ़ में नौवीं कक्षा के छात्र रहमतवीर सिंह ने दो विषयों में कम अंक आने से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग की खबर से वह निराश था। माता-पिता के अनुसार वह पढ़ाई के दबाव में था। विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं में करियर और पढ़ाई का दबाव अकेलापन बढ़ा रहा है इसलिए बच्चों को भावनात्मक सहारा देना चाहिए।

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    स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग रखी गई है। इस बात से रहमतवीर काफी निराश हो गया था और फंदा लगा लिया।

    जागरण संवाददात, चंडीगढ़। नौंवी कक्षा के एक छात्र ने दो विषयों में कम अंक आने से मानसिक रूप से परेशान होकर अपने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। सेक्टर-19 निवासी 15 वर्षीय रहमतवीर सेक्टर-33 स्थित ट्रेंडर हार्ट हाई स्कूल में पढ़ता था। शुक्रवार को स्कूल के एक शिक्षक ने उसके माता-पिता को फोन पर बताया कि रहमतवीर के दो विषयों में अंक कम आए हैं और अगले दिन यानी शनिवार को स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग रखी गई है। इस बात से रहमतवीर काफी निराश हो गया था।

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    परिजनों के मुताबिक वह पिछले कुछ दिनों से पढ़ाई के दबाव में था, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा। रहमतवीर के माता-पिता दोनों सरकारी नौकरी करते हैं। जब घर पहुंचे तो उन्होंने अपने बेटे को पंखे से लटका हुआ पाया। घबराकर उन्होंने तुरंत पुलिस और पड़ोसियों को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और बच्चे को अस्पताल ले जाया गया, जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

    घटनास्थल की जांच के दौरान पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि बच्चे के मानसिक तनाव और पढ़ाई से जुड़ी परिस्थितियों की जांच की जा रही है। रहमतवीर अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। परिवार इस घटना से पूरी तरह टूट गया है। परिजन उसे एक होनहार और शांत स्वभाव का बच्चा बताते हैं।

    विशेषज्ञों का क्या कहा

    डिजिटल युग में अकेलापन एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार दस में से हर तीसरा व्यक्ति अकेलेपन से जूझ रहा है। पीजीआइ के मनोरोग विभाग के डा. अखिलेश शर्मा ने बताया कि मानव की प्रवृति अकेले रहने की नहीं है। इसके अकेलापन मानसिक और शारीरिक बीमारियों को तेज से बढ़ावा देने का सबसे बड़ा कारक बनता जा रहा है। डा. अखिलेश ने बताया कि जो लोग कभी भी लंबे वक्त तक संजीदगी भरे रिश्ते में नहीं रहे हों, वे कम मिलनसार, कम जिम्मेदार, कम खुले विचारों वाले और नई चीजें अपनाने में कम दिलचस्पी रखते है। वहीं, रिश्तों में रहने वाले लोग इन मामलों में बेहतर होते है। इसके साथ उन्होंने कहा कि युवाओं में करियर, रिश्तों और पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने की चाह उनको अकेलेपन और तनाव की ओर ले कर जा रही है। वहीं, बुजुर्गों में अकेलेपन का कारण है कि वह पहले मिलनसार होते है। लेकिन अंत में परिवार का साथ न मिल पाने के कारण उनमें अकेलापन एक चुनौती बन जाता है।

    माता-पिता के लिए सलाह

    आज के समय में बच्चों पर परीक्षा और पढ़ाई का दबाव अत्यधिक बढ़ गया है। वे कहते हैं कि अभिभावकों और शिक्षकों को यह समझने की जरूरत है कि कम अंक जीवन का अंत नहीं होते। हर बच्चे की क्षमता अलग होती है, इसलिए उसे भावनात्मक सहारा देना जरूरी है, न कि डांटना या तुलना करना।

    अकेलेपन से बचने के लिए अपनाए यह उपाय

    दोस्तों और परिवार से जुड़ाव बनाए रखें।

    नियमित व्यायाम करें।

    पालतू जानवर साथ और अपनापन महसूस कराते हैं।

    संगीत सुने या खेल में हिस्सा लेें।

    यदि अकेलापन गहराता जा रहा हो तो काउंसलर या थेरेपिस्ट से बात करना बहुत लाभकारी हो सकता है।