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    57 लाख ठगने वाले बेंगलुरू निवासी बैंक मैनेजर के तार दुबई में बैठे साइबर ठगों से जुड़े, मोहाली कोर्ट ने नहीं दी जमानत

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 07:47 PM (IST)

    मोहाली की अदालत ने 57 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी के मामले में आरबीएल बैंक के मैनेजर शेख नौशाद अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने उसे इस धोखाधड़ी का मुख्य साजिशकर्ता माना जिसके तार दुबई के एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़े हैं। अदालत ने साइबर अपराधों की बढ़ती गंभीरता और जांच जारी रहने का हवाला देते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।

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    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सुनाया आदेश।

    जागरण संवाददाता, मोहाली। 57 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी में बेंगलुरु के आरबीएल बैंक मैनेजर को अदालत ने जमानत देने से इन्कार कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने बेंगलुरु निवासी 46 वर्षीय शेख नौशाद अहमद को इस मामले का मास्टरमाइंड करार दिया और माना कि उसके तार दुबई में बैठे साइबर ठगों के गिरोह से जुड़े हुए हैं।

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    मोहाली में पंजाब स्टेट साइबर क्राइम थाने में नौशाद के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि आरोपित ने बेंगलुरु में आरबीएल बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में काम करते हुए धोखाधड़ी में शामिल था। उसने जाली दस्तावेजों के आधार पर एक फर्जी खाता खोला। धोखाधड़ी करके 57 लाख रुपये फर्जी खाते में ट्रांसफर किए, जिसे बाद में कई अन्य फर्जी खातों में हस्तांतरित कर दिया गया।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित बैंक मैनेजर होने के नाते, खाते खोलने से पहले दस्तावेजों की प्रामाणिकता की जांच करने के लिए बाध्य था। जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा अदालत में दायर जवाब में यह गंभीर आरोप लगाया गया कि नौशाद अहमद इस पूरे धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड है। इसके अलावा, उसके संबंध दुबई स्थित एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह से हैं। इस बात पर जोर दिया कि यदि आरोपित को जमानत दी जाती है तो उसके फरार होने की प्रबल संभावना है।

    अदालत ने पाया कि साइबर अपराधों का खतरा खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है और हर दिन कई लोग इसका शिकार हो रहे हैं। अपराध की गंभीरता और जांच जारी रहने को देखते हुए अदालत ने आरोपित को जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं पाया। अदालत ने कहा अपराध की गंभीरता को देखते हुए और यह देखते हुए कि साइबर अपराधों ने खतरनाक रूप ले लिया है और जांच अभी भी जारी है, उसे जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता।