72 रुपये प्रति किलोमीटर इलेक्ट्रिक बस खर्च पैमाने पर नहीं बैठ रहा फिट
इलेक्ट्रिक बसों के लिए शहर का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : इलेक्ट्रिक बसों के लिए शहर का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन ने इलेक्ट्रिक बसों के लिए जो टेंडर निकाला था, उसमें दो कंपनियों ने शहर में बस चलाने की इच्छा जताई है। लेकिन कंपनियों ने बस चलाने के लिए प्रति किलोमीटर जो रेट दिए हैं। वह प्रशासन के पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे। एक कंपनी ने इलेक्ट्रिक बस चलाने के लिए प्रति किलोमीटर 72 रुपये चार्ज करने का रेट टेंडर में दिया है। प्रशासन इस रेट को काफी ज्यादा मान रहा है। इसका कारण यह भी है कि ऑर्डिनरी बस प्रति किलोमीटर 30 रुपये तक में चल जाती है। पंजाब सहित कई राज्यों में ऐसी बसें चल भी रही हैं। अब हरियाणा भी चलाने की तैयारी में है। ऐसे में इलेक्ट्रिक बस के लिए सीधे दोगुना से भी अधिक चार्ज प्रशासन के पैमाने पर फिट नहीं बैठ रहा। दूसरे राज्यों से होगी तुलना
इलेक्ट्रिक बसों के रेट पर सहमति नहीं बनने पर अब प्रशासन दूसरे राज्यों की इलेक्ट्रिक बसों की सर्विस को स्टडी करेगा। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित कई प्रदेशों में इलेक्ट्रिक बसें कई साल से चल रही हैं। उत्तर प्रदेश के पांच से अधिक शहरों में इलेक्ट्रिक बस सर्विस शुरू हो चुकी है। इन प्रदेशों में बसें किस मॉडल पर और इसके लिए प्रति किलोमीटर कितना चार्ज देना पड़ रहा है। यह देखने के बाद चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिग अंतिम निर्णय लेगा। सीटीयू ने फिलहाल 40 इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए टेंडर निकाला है। जानिए : क्या है प्रति किलोमीटर फार्मूला
इस स्कीम के तहत सीटीयू बसें नहीं खरीदेगा। बल्कि किसी कंपनी को फाइनल कर उनकी बसें चलवाएगा। बदले में कंपनी को प्रति किलोमीटर का तय रेट अदा किया जाएगा। इसमें बस के ऑपरेशन से लेकर मेंटेनेंस सब कंपनी ही देखेगी। सीटीयू का बस में केवल कंडक्टर होगा। जो रेवेन्यू देखेगा। यह बस एक निर्धारित समय तक ही चलेगी। पुरानी होने पर इसके बदले में नई बस कंपनी को लगानी होगी। इलेक्ट्रिक बस सामान्य बसों से काफी महंगी हैं। एक 37 सीटर बस भी डेढ़ से दो करोड़ रुपये की आती हैं। इस वजह से अधिकतर राज्यों में अब ऑर्डिनरी से लेकर लग्जरी और इलेक्ट्रिक बसें इसी मॉडल पर चल रही हैं। जिससे मोटी रकम बसों की खरीद में नहीं लगानी पड़ती। इलेक्ट्रिक बसों के लिए कंपनी फाइनल करने से पहले प्रशासन दूसरे राज्यों के मॉडल को देखेगा। उनमें किस रेट पर बसें चल रही हैं, उनसे अंतर कर देखा जाएगा। उसके बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।
-उमाशंकर गुप्ता, डायरेक्टर, ट्रांसपोर्ट, चंडीगढ़