NDPS एक्ट के तहत सजा पूरी कर चुके 48 विदेशी नागरिक पंजाब की जेलों में बंद, निर्वासन की प्रक्रिया अधूरी
पंजाब की जेलों में विदेशी कैदियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है जिनमें से कई नशीली दवाओं के मामलों में शामिल हैं। एनडीपीएस एक्ट के तहत सजा पूरी कर चुके 48 विदेशी नागरिक अभी भी जेलों में बंद हैं क्योंकि उनके निर्वासन की प्रक्रिया अधूरी है। सरकार और जेल विभाग मामलों की समीक्षा कर रहे हैं और निर्वासन की प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास कर रहे हैं।

रोहित कुमार, चंडीगढ़। पंजाब की जेलों में विदेशी कैदियों की संख्या लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। राज्य के विभिन्न जेलों में दर्जनों विदेशी नागरिक बंद हैं। इनमें से ज्यादातर नशीली दवाओं और प्रतिबंधित पदार्थों के साथ पकड़े गए लोग हैं।
जेलों में एनडीपीएस एक्ट के मामलों से जुड़े 48 विदेशी नागरिक सजा पूरी होने के बावजूद जेलों में बंद हैं, क्योंकि उनकी नागरिकता की पुष्टि, कांसउलर पहुंच और निर्वासन की प्रक्रिया अधूरी है।
पंजाब सरकार और जेल विभाग ने आश्वासन दिया है कि विदेशी कैदियों से जुड़े सभी मामलों की समीक्षा की जा रही है और केंद्र सरकार के सहयोग से निर्वासन की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। जेलों में 31 मार्च 2023 तक 200 से ज्यादा विदेशी कैदी थे। इधर, राज्य की पुलिस लगातार विदेशी नागरिकों को नशीले पदार्थों के साथ पकड़ रही है। मोहाली और लुधियाना जैसे शहरी इलाकों में नाइजीरिया समेत अफ्रीकी देशों के नागरिकों की गिरफ्तारी की कई घटनाएं सामने आई हैं।
उदाहरण के तौर पर इस वर्ष मोहाली में एक नाइजीरियाई नागरिक अगस्टीन ओकवुदिली को कोकेन और एमडीएमए ड्रग्स के साथ पकड़ा गया। इसी तरह, अमृतसर और जालंधर में भी विदेशी नागरिक हेरोइन की तस्करी में गिरफ्तार हुए हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि पंजाब की भौगोलिक स्थिति और ड्रग रूट्स की सक्रियता के कारण विदेशी नेटवर्क यहां तक पहुंचते हैं। ड्रग्स की खपत और सप्लाई दोनों का दबाव राज्य की जेलों में भी झलकता है। आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी कैदियों का बड़ा हिस्सा अंडरट्रायल है, यानी मामलों का निपटारा अदालतों में लंबित है। इसके चलते वे सालों तक जेल में बंद रहते हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि विदेशी कैदियों की स्थिति जटिल है। एक ओर वे गंभीर अपराधों के आरोपित हैं, दूसरी ओर सजा पूरी होने के बाद भी प्रशासनिक कारणों से रिहाई या निर्वासन में देरी होती है। अदालत की सख्ती के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस दिशा में जल्द कदम उठाएगी।
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