35 मामले, 100 करोड़ की वसूली और भारत में 700 शूटर; कनाडा में लॉरेंस गैंग आतंकी घोषित, छात्र से गैंगस्टर बनने का सफर
कनाडा सरकार ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग को आतंकी संगठन घोषित किया क्योंकि यह गैंग देश में डर का माहौल बना रहा था। बिश्नोई गैंग पर साउथ एशियन समुदाय से वसूली करने और धमकाने के आरोप हैं। पिछले तीन वर्षों में गिरोह से जुड़े करीब 35 आपराधिक मामले कनाडा में दर्ज हुए। लॉरेंस बिश्नोई 2014 से जेल में है लेकिन वहीं से उसका नेटवर्क चल रहा है।

रोहित कुमार, चंडीगढ़। कनाडा सरकार ने लॉरेंस बिश्नोई के गैंग को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। कनाडा सरकार की ओर से कहा है गया है कि यह गैंग देश में 'भय और डर का माहौल' बना रहा है।
गृह मंत्रालय की ताजा अधिसूचना के अनुसार बिश्नोई गैंग ने कनाडा में साउथ एशियन समुदाय के सैकड़ों व्यवसायों से वसूली की और दर्जनों धमकाने वाले ऑडियो-वीडियो संदेश भेजे। ब्रिटिश कोलंबिया और अल्बर्टा प्रांतों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि बिश्नोई नेटवर्क जो भारत, दुबई और कनाडा के बीच सक्रिय है।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में गिरोह से जुड़े करीब 35 आपराधिक मामले कनाडा में दर्ज हुए और 100 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले। इस नेटवर्क के 700 से ज्यादा शूटर भारत में फैले हैं और इसके तार खालिस्तानी आतंकी गुटों से भी जुड़े बताए जाते हैं।
कनाडा का यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि इससे अब एजेंसियां गिरोह की संपत्तियां जब्त कर सकेंगी और उसके बैंक खातों पर रोक लगाई जा सकेगी। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस कार्रवाई से कनाडा में छोटे व्यवसायियों को राहत मिलेगी, जिन्हें लंबे समय से इस गैंग से धमकी मिल रही थी।
छात्र से अपराधी तक का सफर
लारेंस बिश्नोई की कहानी एक साधारण छात्र से खतरनाक अपराधी तक के सफर की है। 1993 में पंजाब के फाजिल्का में जन्मा लारेंस, डीएवी कालेज चंडीगढ़ में छात्र राजनीति से जुड़ा और वहीं से आपराधिक रास्तों पर उतर गया।
शुरुआती दौर में कार लूट, झगड़े और अवैध हथियारों से शुरुआत करने वाले बिश्नोई ने जल्द ही अपना गिरोह खड़ा कर लिया। पहला मामला 2011-12 में दर्ज हुआ। 2014 में पहली बार जेल गया। 2018 में सलमान खान को काले हिरण के शिकार मामले को लेकर हत्या की धमकी देकर वह सुर्खियों में आया।
इसके बाद 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने उसके गैंग की अंतरराष्ट्रीय पहचान बना दी। उस पर हत्या, वसूली और संगठित अपराध के 84 से ज्यादा केस दर्ज हैं और वह 2014 से जेल में बंद है, लेकिन वहीं से उसका नेटवर्क और बड़ा हुआ।
पिछले साल कनाडा के विनिपेग में खालिस्तानी आतंकी सुखदूल सिंह उर्फ सुखा दुनेके की हत्या की जिम्मेदारी भी बिश्नोई गैंग ने ली। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि गिरोह न सिर्फ बालीवुड और पंजाबी इंडस्ट्री बल्कि कनाडा में बसे प्रवासी समाज पर भी पकड़ बना चुका है।
अब जब कनाडा ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर दिया है, तो यह भारत और कनाडा के रिश्तों के बीच संगठित अपराध और आतंकवाद से निपटने की नई चुनौती को भी उजागर करता है।
कनाडा में उठने लगी थी मांग
बीते 11 अगस्त को कनाडा की कंजरवेटिव पार्टी के पब्लिक सेफ्टी शैडो मिनिस्टर फ्रैंक कैपुटो ने सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री गैरी आनंदसंगरी को पत्र लिखकर औपचारिक रूप से यह मांग उठाई थी। कैपुटो ने पत्र में कहा था कि लारेंस गैंग की गतिविधियां इसे आतंकी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त आधार प्रदान करती हैं।
कैपुटो ने स्पष्ट किया था कि यह गिरोह केवल आपराधिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक, धार्मिक और वैचारिक कारणों से भी हिंसा करता है। गैंग के सदस्य इन घटनाओं को खुलकर सही ठहराते हैं, ताकि संभावित लक्ष्यों और समुदायों को डराया जा सके।
इस पत्र के बाद ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर डेविड ईबी, अल्बर्टा की प्रीमियर डेनियल स्मिथ, ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन और सरे की मेयर ब्रेंडा लाक समेत कई नेताओं ने भी इस मांग का समर्थन किया था। इसी दबाव और सिफारिशों के बाद अब जाकर कनाडा सरकार ने लारेंस गैंग को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है।
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