अमेरिका से 295 और भारतीयों की होगी वतन वापसी, जनवरी से अब तक 388 नागरिक किए गए डिपोर्ट
अमेरिका से जल्द ही 295 और भारतीयों को वापस भेजा जाएगा। विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने यह जानकारी दी। जनवरी 2025 से अब तक लगभग 388 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा गया है। भारत ने अमेरिका में निर्वासित लोगों के साथ किए गए व्यवहार पर चिंता जताई। दोनों देशों ने अवैध आव्रजन और मानव तस्करी से निपटने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर सहमति जताई।

पीटीआई, चंडीगढ़। अमेरिका से शीघ्र ही 295 और भारतीय डिपोर्ट किए जाएंगे। विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि अमेरिकी आव्रजन व सीमा शुल्क प्रवर्तन अधिकारियों ने हाल ही में हमारे साथ 295 अतिरिक्त व्यक्तियों से संबंधित जानकारी साझा की है जिन्हें अमेरिका से निकाले जाने के लिए हिरासत में रखा गया है।
जनवरी 2025 से अब तक लगभग 388 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा गया है। इनमें से 333 भारतीयों को फरवरी में तीन अलग-अलग उड़ानों से सीधे अमेरिका से भारत भेजा गया था।
अमेरिका ने पनामा के रास्ते वाणिज्यिक उड़ानों से 55 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा है। उन्होंने कहा कि 12-13 फरवरी को प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा में अवैध अप्रवासी नेटवर्क पर नकेल कसते हुए सुरक्षित, व्यवस्थित व कानूनी प्रवास को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा की गई थी।
भारत ने पांच फरवरी को अमेरिका में उतरे विमान में निर्वासित लोगों के साथ किए गए व्यवहार, विशेषकर महिलाओं के साथ बेड़ियों के प्रयोग के संबंध में अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताएं दृढ़ता से दर्ज कराई गई हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अवैध आव्रजन और मानव तस्करी से निपटने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता को स्वीकार किया तथा अवैध आव्रजन नेटवर्क के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की पहल की गई है।
डंकी रूट के जरिए जाते थे अमेरिका
डंकी रूट (Donkey Route) से विदेश यात्रा करने वालों को मानव तस्करों को अच्छी खासी रकम चुकानी पड़ती है। इसके लिए 35 से 40 लाख रुपये प्रति व्यक्ति वसूले जाते हैं।
दो साल पहले डंकी रूट तब सुर्खियों में आया था, जब फ्रांस ने दुबई से निकारागुआ जा रहे 303 भारतीय यात्रियों वाले एक चार्टर विमान को मानव तस्करी के संदेह में रोक दिया था।
डंकी रूट क्या होता है
पंजाब में एक जगह से दूसरी जगह पर कूदने की क्रिया को 'डुंकी' कहा जाता है। यहीं से 'डंकी रूट' शब्द चलन में आया। इस रास्ते के माध्यम से लोग एक देश से दूसरे देश जाते थे।
आधिकारिक तौर पर किसी को पता नहीं चलता कि आप किस देश में हैं। दूसरी कहानी यह भी कहती है कि अवैध तरीके से किसी देश जाने में लंबे समय तक पैदल चलना पड़ता था।
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