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    सीटी स्कैन या एक्स-रे कराएं थोड़ा संभलकर

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    Updated: Wed, 09 Nov 2016 01:00 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सीटी स्कैन या एक्स-रे कराने से कैंसर, आंखों का मोतिया (कैटारेक्ट) व डीएनए

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सीटी स्कैन या एक्स-रे कराने से कैंसर, आंखों का मोतिया (कैटारेक्ट) व डीएनए में बदलाव जैसी परेशानियां हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं व बच्चों के डीएनए में म्यूटेशन हो सकती है। यानी आने वाली संपूर्ण पीढि़यां इसका शिकार हो सकती हैं। एक्स-रे का विभिन्न रेडियोलॉजिकल रेडिएशंस व सीटी स्कैन में प्रयोग हो रहा है। जीएमसीएच की प्रो. सुमन कोछड़ ने बताया कि लोगों में रेडिएशन की डोज लगातार बढ़ रही है। अगर छाती, पेट, रीढ़ की हड्डी या पेल्विक रीजन का एक सीटी स्कैन किया जाता है तो यह डोज 200 से 400 एक्स-रे की डोज के बराबर या इससे भी ज्यादा होती है। बच्चों के टिश्यू ज्यादा रेडियो सेंसेटिव होते हैं, लिहाजा अगर इन्हें ज्यादा रेडिएशन दी जाए तो पूरी जिंदगी में इन्हें कैंसर होने के आसार रहते हैं। खासतौर से जेनेटिक इफेक्ट होते हैं, जिससे जेनेटिक म्यूटेशन होने का खतरा रहता है, जिसका अगली पीढ़ी पर प्रभाव पड़ता है। इसका सोमेटिक इफेक्ट भी होता है। यानी शरीर के सेलों पर प्रभाव से जिंदगी छोटी हो जाती है। रेडिएशन कैटारेक्ट होने की आशंका रहती है। थायरायड पर भी यह प्रभाव डालती है। इससे रेडिएशन डर्मेटाइटिस होती है। रेडिएशन से होने वाली मेलीगनेंट डिजीज, जिसमें ल्यूकीमिया व कैंसर शामिल हैं, भी होती हैं। यह रेडिएशन के पांच से 25 साल के भीतर हो सकती है। उन्होंने कहा कि क्वालीफाइड रेडियोग्राफर से ही एक्स-रे कराना चाहिए। डॉक्टर से हमेशा यह भी पूछना चाहिए कि दोबारा एक्स-रे क्यों कराना चाहिए। उनसे यह भी पूछें कि बार-बार एक्स-रे कराने के क्या नुकसान हैं, इस बारे भी जानकारी दी जाए।

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    एक्स-रे के नुकसान को लेकर नाटक किया पेश

    गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ने व‌र्ल्ड रेडियोग्राफी डे आयोजित किया। नोबल लॉरिएट व एक्स-रे का आविष्कार करने वाले सर डब्ल्यूसी रोएंटगन के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है। बीएससी मेडिकल टेक्नोलॉजी रेडियोलॉजी के स्टूडेंट्स ने इस मौके पर रेडिएशन अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किया जिसमें विभिन्न संस्थानों के स्टूडेंट्स ने भाग लिया। बीते दशक से रेडियोलॉजी के क्षेत्र में मानव कल्याण के क्षेत्र में खूब विकास हुआ है। लेकिन आजकल पैसा बनाने वाले इसकी माफर््त खूब पैसा बना रहे हैं। ऐसे सर्वे आ रहे हैं कि कई ऐसी एक्स रे मशीनें हैं, जो रजिस्टर्ड नहीं हैं लेकिन उनसे पैसा बनाया जा रहा है। लोगों को यह बताना निहायत जरूरी है कि एक्स-रे तभी करवाना चाहिए, जब इसका लाभ मिले और नुकसान न हो क्योंकि एक्स-रे कराने के कई रिस्क हैं।

    एक्स-रे रेडिएशन के बारे में लोगों को कर रहे जागरूक

    मौके पर सेक्टर-17 में स्ट्रीट प्ले रोएंटगन का अवतार प्रस्तुत किया गया जिसे मुकेश शर्मा ने डायरेक्ट किया और एक्स-रे रेडिएशन के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इस नाटक का मकसद यही है कि एक्स-रे व सीटी स्कैन के प्रभाव को जनता को बताया जाए। कोऑर्डिनेटर लक्ष्मीकांत तिवारी ने रेडिएशन प्रोटेक्शन एवं इससे सेफ्टी को लेकर लोगों के सवालों के जवाब दिए। यह नाटक इतना पापुलर हुआ कि पब्लिक की डिमांड पर तीन बार दिखाया जा चुका है। अभिनव नागरथ, माया देवी, नीतिश राजपूत, विशाल, सूरज, अमन कुमार, काजल, नेहा अर्शदीप चौहान , स्मिता त्रिपाठी इत्यादि ने इस नाटक में किरदार निभाया।

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