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    5500 इको क्लब रोक सकते हैं पराली का प्रदूषण

    By Edited By:
    Updated: Thu, 20 Oct 2016 01:01 AM (IST)

    मनोज त्रिपाठी, चंडीगढ़ केंद्र सरकार की पहल पर छह साल पहले सूबे के हर जिले में बनाए गए 250 इको क्लब

    मनोज त्रिपाठी, चंडीगढ़

    केंद्र सरकार की पहल पर छह साल पहले सूबे के हर जिले में बनाए गए 250 इको क्लब पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने में कारगर साबित हो सकते हैं, लेकिन इनका कोई इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। स्कूली विद्यार्थियों व युवाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने व पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए बनाए इन इको क्लबों को जागरूकता अभियान का हिस्सा नहीं बनाया गया है।

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    फाइलों में खानापूर्ति कर 5500 इको क्लबों की जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने दफ्तर में कैद कर रखी है। इनके साथ 55000 विद्यार्थी व युवा क्लबों के सदस्य हैं, अगर केवल इन्हीं का इस्तेमाल बोर्ड पराली के प्रदूषण को लेकर कर ले तो प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। छह साल पहले केंद्र सरकार के आदेश पर शिक्षा विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर सूबे के हर जिले के 250 सरकारी व निजी स्कूलों में इको क्लबों की स्थापना की थी। हर क्लब में कम से कम 10 सदस्य बनाए गए थे। ज्यादा से ज्यादा सदस्यों की संख्या कितनी भी हो सकती है। इसके तहत उन्हें जागरूक किया जाना था कि वे आने वाली पीढ़ी को भी जागरूक करें।

    पाठ्यक्रम में प्रदूषण से होने वाले नुकसान व इससे बचने के उपायों को शामिल किया गया था, लेकिन ये क्लब केवल कागजों तक सिमट कर रह गए। पाठ्यक्रम में जो जानकारी डाली गई, उन्हें जरूर विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है, लेकिन प्रदूषण को लेकर प्रेक्टिकल रूप से विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कोई कवायद नहीं की गई।

    मौजूदा समय में पंजाब में वातावरण प्रदूषण के रूप में सबसे बड़ी समस्या पराली को जलाने से होने वाले प्रदूषण की है। इसे लेकर सरकार व बोर्ड के स्तर पर तमाम प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन सरकार व बोर्ड के पास मौजूद 55000 से ज्यादा की फौज का इस्मेताल पराली को जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं हो पा रहा है।

    अभियान में शामिल करेंगे: चेयरमैन

    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन मनप्रीत सिंह छतवाल का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इको क्लबों का इस्तेमाल जागरूकता में नहीं किया जा रहा है, लेकिन पराली के मामले को लेकर अभी इन्हें जागरूकता अभियान में शामिल नहीं किया गया था। जल्द ही इसका एक्शन प्लान बनाकर उस पर अमल किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके परिवार वाले भी जागरूक हो सकेंगे। साथ ही दी दिवाली पर होने वाले प्रदूषण को लेकर भी इको क्लबों के जरिए विद्यार्थियों व युवाओं को जागरूकता संबंधी कार्यक्रमों में पराली के मामले को जोड़ा जाएगा।