चार बहनों ने अपने भाइयों और एक भाई ने अपनी बहन को दान की किडनी
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बहन और भाई का रिश्ता एक बहुत ही पवित्र रिश्ता है। भाई हमेशा अपनी बहन की र
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बहन और भाई का रिश्ता एक बहुत ही पवित्र रिश्ता है। भाई हमेशा अपनी बहन की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। देश में ऐसी सैकड़ों मिसालें हैं जब संकट में फंसी बहन की भाइयों ने या भाई की बहनों ने रक्षा की। एक ऐसी ही मिसाल उन चार बहनों व एक भाई ने पेश की जिन्होंने अपने भाई व बहन को किडनी दान कर दूसरी जिंदगी दी। अपने भाइयों को नई जिंदगी देने वाली इन बहनों व भाई को चंडीगढ़ के प्रेस क्लब में बुधवार को आइवी अस्पताल मोहाली की ओर से सम्मानित किया गया।
पेश की बेहतरीन मिसाल
36 वर्षीय टीचर प्रिंसी पंचकूला की है। उसने अपने 26 साल के भाई अर्जुन को किडनी दान दी। प्रिंसी का कहना है कि उसके पति व ससुराल वालों ने इस नेक काम के लिए उसे प्रेरित किया। उसे खुशी है कि वह भाई के काम आ सकी और उसे नई जिंदगी मिली। प्रिंसी ने बताया कि भाई अर्जुन की 15 साल की उम्र में ही किडनी खराब हो गई थी।
-कमलेश रानी की उम्र 60 साल है। उसने अपने भाई केवल कुमार जिसकी उम्र 52 साल है को किडनी दान दी। ये दोनों यमुनानगर के रहने वाले हैं। आइवी अस्पताल में इनकी किडनी बदली गई। कमलेश का कहना है कि खुशी है कि भाई के काम आ सकी। हम दोनों ने एक ही पेट से जन्म लिया। मां-बाप को इससे जबरदस्त सुकून मिला होगा।
-रमेश रानी की उम्र 64 साल है। इसने अपने भाई अशोक कुमार जिसकी उम्र 56 साल है को किडनी दान दी। ये दोनों पानीपत के रहने वाले हैं।
-65 साल की स्वर्ण कौर ने अपने भाई 57 वर्षीय स्वर्ण सिंह को किडनी दान दी है। ये दोनों पटियाला निवासी हैं।
-एक भाई रमेश कुमार जिसकी उम्र 48 साल है ने अपनी बहन सुरेश कुमारी जिसकी उम्र 49 साल है को किडनी दान दी। ये फतेहाबाद हरियाणा के निवासी हैं।
कोट
जिन्हें संकट की घड़ी में अंग मिले हैं उन्हें नई जिंदगी मिली है। अब वह अपनी उम्मीद से भी अधिक जिंदगी जी सकेंगे।
डॉ. कंवलदीप, अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर
किसी जरूरतमंद को अपने शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग दान करने से पवित्र कुछ नहीं हो सकता। अपने भाई बहन की जिंदगी बचाना उससे भी पवित्र है। इस प्रकार का दान करने के लिए दृढ़ संकल्प होना जरूरी है और इसके लिए परिवार का भी समर्थन चाहिए। आधुनिक मेडिकल एडवासेज के साथ आज किडनी का दान पूरी तरह से सुरक्षित है। इससे जिंदगी की सामान्य गतिविधियों पर भी कोई असर नहीं पड़ता है। बहुत सारे अंग दानी अपनी सामान्य नौकरियों में वापस चले जाते हैं और कई ने अपनी किडनी दान करने के बाद अपने बच्चों को भी जन्म दिया है।
डॉ. राका कौशल, अस्पताल की चीफ नेफ्रोलॉजिस्ट और रीनल ट्रासप्लाट फिजिशयन
हर साल भारत में 1.5 लाख लोगों की किडनी फेल होती है। बहरहाल, इनमें से सिर्फ 5,000 को ही किडनी ट्रासप्लाट हो पाती है क्योंकि अंगदान करने वाले उपलब्ध नहीं हैं। भारत में अंगदान को बढ़ाने के लिए पूरे समाज को संवेदनशील बनाने की जरूरत है।
डॉ. अविनाश श्रीवास्तव, रीनल ट्रासप्लाट सर्जरी के डायरेक्टर
हर साल लाखों भारतीय मौत के मुंह में समा जाते हैं क्योंकि उनके प्रमुख अंग फेल हो जाते हैं। इनमें से कई लोगों की जान अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से बचाई जा सकती है। अंगदान दिवस हम सभी को आगे आने के लिए प्रेरित करता है ताकि हम अंगदान की बहुमूल्य शपथ ले सकें।
डॉ. अजय गोयल, नेफ्रोलॉजी के कंसलटेंट
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