डायबीटिज पर काबू पाएगी आयुष-82
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : डायबीटिज पर काबू पाने के लिए चंडीगढ़ सहित अन्य आसपास के बाजारों में आयुष-
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : डायबीटिज पर काबू पाने के लिए चंडीगढ़ सहित अन्य आसपास के बाजारों में आयुष-82 नाम की दवा उतारी गई है। आयुष-82 दवा पांच आयुर्वेदिक मेडिसनल प्लांट्स से तैयार की गई है। आयुष-82 बीटा सेल को स्टीमूलेट करता है और इंस्यूलीन प्रोडक्शन को बढ़ाता है। पेरीफरेल इंस्यूलीन रेजिस्टेंस घटाता है और आंतों (इंटेस्टाइंस) में ग्लूकोज एब्सापर्शन (सोखना) में देरी लाता है। इससे ब्लड शूगर लेवल में कमी आती है। इसका शरीर पर किसी तरह का टॉक्सिक इफेक्ट नहीं है। दवा के जरूरी क्लीनिकल ट्रायल किए गए हैं और हर स्तर पर इसे जांचा परखा गया है। आयुष-82 आयुर्वेदिक फार्मूलेशन है, जिसे सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) ने विकसित किया, जो केंद्रीय आयुष मंत्रालय के तहत काम कर रही है। आयुष मंत्रालय आयुर्वेद, योगा, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा व होम्योपैथी में रिसर्च और विकास के लिए स्थापित किया है। आयुष के मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने लोकसभा में इस दवा बारे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मधुमेह को काबू करने में दवा बड़ी कारगर बताई जा रही है। केंद्रीय साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय के तहत काम कर रहे नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनआरडीसी) ने कुडोस लेबोरट्री इंडिया के साथ एक एमओयू साइन किया है। कंपनी ने आयुष-82 की मार्केटिंग के अधिकार लिए हैं। आयुष-82 दवा को तीन कंपनियां कमर्शियल प्रोडक्ट के तौर पर अलग-अलग नाम से मार्केटिंग कर रही हैं। इनमें डाबर इंडिया, कुडोस लैब इंडिया व ला ग्रेनेड हर्ब्स एंड फार्मा शामिल हैं।
ऐसे काम करती है दवा
-बीटा सेल को रीजेनरेट करती है
-इंस्यूलीन प्रोडक्शन स्टीमूलेट करती है
-इंस्यूलीन रेजिस्टेंस कम करती है
-इंटेस्टाइनल सोखने (एब्सोपर्सन) में देरी
कई आयुर्वेदिक फार्मूलेशन पर काम कर रहा सीसीआरएस
सीसीआरएस के प्रो. केएस धीमान डायरेक्टर जनरल हैं। उनकी रहनुमाई में कई आयुर्वेदिक दवाओं पर रिसर्च चल रही है। एनआरडीसी ने 12 आयुर्वेदिक दवा लाइसेंस की हैं और 32 कंपनियां इन्हें मार्केट में कमर्शियल तौर पर बेच रही हैं।

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