हृदय की पुकार प्रार्थना : मुनिश्री विनय
- विश्वास व श्रद्धा पूर्ण प्रार्थना अवश्य सुनते हैं भगवान
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़: प्रार्थना हृदय की पुकार है, प्रार्थना यदि मन से की जाए तो परमात्मा उस पुकार को जरूर सुनता है। प्रार्थना परमात्मा से मिलने का सबसे कारगार उपाय है। मन वचन की गई प्रार्थना जरूर ईश्वर तक पहुंचती है। लेकिन मन में विश्वास हो, श्रद्धा का भाव हो, तो वह अवश्य सुनी भी जाती है और पूरी भी होती है।
ये शब्द मुनि श्री विनय कुमार आलोक ने अणुव्रत भवन सेक्टर-24 में सभा को संबोधित करते हुए कहे। मुनिप्रवर ने कहा कि हमारे पास भी परमात्मा ने उसे याद करने का एक माध्यम दिया है, और वह है प्रार्थना। हृदय की पुकार, श्रद्धा और विश्वास के भाव की अभिव्यक्ति का दूसरा नाम है प्रार्थना। प्रार्थना व्यक्ति को आत्मिक शक्ति प्रदान करती है। प्रार्थना हर कोई कर सकता है। प्रार्थना करते हैं और भगवान उनका मार्ग निर्देशन करते हैं। जीवन की अंधेरी घड़ी में प्रार्थना ही आशा की किरण बनकर पथ प्रदर्शन करती है। सात्विक प्रार्थना वह है जो निष्काम है।
भगवान से कुछ मागें नहीं। प्रार्थना में समर्पित होकर यह कह दें कि हे प्रभु! जिसमें मेरा भला हो वही मुझे देना। क्योंकि वह दूरद्रष्टा है व सर्वज्ञ है। जीव अल्पज्ञ है और हमारी सोच भी संकुचित है। प्रार्थना प्रभु को याद करने के साथ-साथ उसके प्रति कृतज्ञता का एक अहोभाव भी है। सबके भले की कामना करने वाली प्रार्थना जिसके अंदर किसी भी प्रकार का स्वार्थ न हो जिसके अंदर सभी के भले की कामना छिपी हो वह प्रार्थना अवश्यक ही पूरी होती हेै।
सुबह जिस समय भी उठे तो हाथ जोकर उस ईश्वर का शुक्रराना करे कि हे प्रभु आज तूने मुझे एक और दिन दिया है हे प्रभु आज मैं किसी भी निंदा चुगली न क रू, सबके भले की मांग इस ईश्वर से मांगू क्योंकि सबके भले में हमारा भी भला छिपा होता है।
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