'अकाली दल ही किसानों-श्रमिकों की आवाज, 2027 में महासंग्राम...', बुढलाडा में हरसिमरत कौर बादल का बड़ा बयान
शिरोमणि अकाली दल हमेशा से ही श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ता रहा है। हरसिमरत कौर बादल ने बुढलाडा में पार्टी कार्यालय के उद्घाटन पर कहा कि अकाली दल ने हमेशा किसानों और व्यापारियों के अधिकारों की रक्षा की है। उन्होंने मान सरकार पर विफल रहने और पंजाब पर कर्ज का बोझ बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 2027 का चुनाव अकाली दल बनाम अन्य दलों का होगा।

हरसिमरत कौर बादल ने बुढलाडा में कहा कि शिरोमणि अकाली दल हमेशा से वर्करों के अधिकारों की लड़ाई लड़ता आया (फाइल फोटो)
संवाद सूत्र, बुढलाडा। शिरोमणि अकाली दल हमेशा से ही ईमानदारी के साथ वर्करों के अधिकारों की लड़ाई लड़ता आया है। चाहे वो बाढ़ प्रभावित किसान हों या व्यापारी। ये शब्द सांसद एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने शहर में खुले शिरोमणि अकाली दल कार्यालय के उद्घाटन समारोह के दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि यह पार्टी कार्यालय का उद्घाटन नहीं बल्कि पार्टी उम्मीदवार डॉ. निशान सिंह के चुनाव का बिगुल आवश्य बज चुका है। उन्होंने कहा कि मान सरकार न तो नशे पर रोक लगा पाई और न ही लोगों से किए वादे पूरे कर पाई। बल्कि पंजाब में दिन-प्रतिदिन पनप रही गुंडागर्दी के कारण लोगों के चेहरों से रौनक गायब हो गई है।
पंजाब को बेपरवाह छोड़कर 7 जिलों की पुलिस मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अपने आका केजरीवाल की रैली को सफल बनाने में जुटी हुई है। लेकिन पंजाब की जनता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है। मान सरकार ने पंजाब पर कर्ज का बोझ दोगुना कर दिया है जबकि बादल सरकार के दौरान दी जाने वाली सुविधाएं एक-एक करके छीनी जा रही हैं।
बाढ़ राहत के लिए केंद्र से मिले फंड का ज़िक्र करते सांसद ने कहा कि अभी तक किसी को भी बाढ़ का मुआवजा नहीं दिया गया है और न ही किसी विकास कार्य पर कोई फंड खर्च किया जा रहा है। इस बारे में मान सरकार के पास जनता को जवाब देने के लिए कुछ नहीं है।
2027 के विधानसभा चुनाव अकाली वर्सिज आल पार्टिया होगी और यह सभी राजनीतिक दल एक मुखौटा पहनकर अकाली दल के खिलाफ लड़ रहे हैं, क्योंकि अकाली दल उनके लिए गले की हड्डी बन चुका है।
इस मौके पर जिला अध्यक्ष बलबीर सिंह बीरोके, हलका इंचार्ज डॉ. निशान सिंह हाकमवाला, बलविंदर सिंह हाकमवाला, बल्लम सिंह कलीपुर, हरमेल सिंह कलीपुर, नछत्तर सिंह संधू, मंजीत सिंह पोपी, हरिंदर सिंह साहनी, मेवा सिंह दौदड़ा, गुरदीप सिंह टोडरपुर, हंसा सिंह अहमदपुर, महिंदर सिंह सैदेवाला, सुखविंदर कौर सुखी, राजिंदर सैनी झंडा, सुभाष वर्मा, तनजोत सिंह साहनी, काका कोच, दिलराज सिंह राजू, हाकम सिंह जस्सल, मंजीत सिंह हाकमवाला, बलविंदर सिंह मल्ल सिंह वाला, सरपंच जगतार सिंह गुरने, बिक्कर सिंह बोडावाल, जगसीर सिंह भादड़ा परमजीत कौर दिउसी, करमजीत सिंह माघी, गुरदीप सिंह बोहा और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।
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