बठिंडा की हररायेपुर गोशाला बनी 'गौ कब्रगाह', 2411 गायों की मौत; RTI ने खोली खाने-इलाज की पोल
बठिंडा की हररायेपुर गोशाला में जनवरी 2024 से अगस्त 2025 तक 2411 गोवंशों की मौत हुई है। आरटीआई से पता चला कि लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी गोवंशों को पर्याप्त भोजन और इलाज नहीं मिल रहा है। सबसे ज्यादा मौतें मई 2025 में हुईं। गोशाला की स्थिति को लेकर जांच की मांग की गई है, क्योंकि यह गोवंशों के लिए कब्रगाह बन गई है।

हररायेपुर सरकारी गोशाला बनी गोवंशों की कब्रगाह, 20 महीनों में 2411 मौतें उजागर (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, बठिंडा। जिले की सरकारी गोशाला कैटल पौंड हररायेपुर में गोवंशों की लगातार हो रही मौतों ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। आरटीआइ के तहत सामने आए आंकड़ों से राजफाश हुआ है कि जनवरी 2024 से अगस्त 2025 तक कुल 2411 गोवंशों की मौत हो चुकी है।
इस सरकारी गोशाला का उद्घाटन 1 अप्रैल 2016 को अकाली दल की सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन सांसद हरसिमरत कौर बादल ने किया था। गोशाला में सुधार के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद हालात जस के तस हैं। गोवंश सेवा कमीशन पंजाब के चेयरमैन कई बार यहां का निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन उनकी यात्राओं के बाद भी यहां कोई ठोस सुधार नहीं हुआ।
आरटीआइ कार्यकर्ता संजीव गोयल ने बताया कि गोशाला में हर माह लगभग 24 से 28 प्रतिशत तक गोवंशों की मौत हो रही है। इससे यह साफ होता है कि लाखों रुपये की ‘डाइट मनी’ जारी होने के बावजूद पशुओं को न तो पर्याप्त आहार मिल रहा है और न ही उचित इलाज। गोवंशों को यहां भूख-प्यास और बीमारियों के बीच दम तोड़ना पड़ रहा है।
साल 2025 के आंकड़ों के अनुसार, मई माह में सबसे ज्यादा 208 गोवंशों की मौत दर्ज की गई है। इसके बाद जुलाई और अगस्त में 179-179, जून में 165, और जनवरी में 127 गोवंशों की मौत हुई है। फरवरी से अप्रैल के बीच भी दर्जनों मौतें हुईं। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि हररायेपुर गोशाला में लगातार हो रही लापरवाही ने इसे एक 'सरकारी कब्रगाह' में बदल दिया है।
स्थानीय लोगों और समाजसेवियों का कहना है कि शहर से पकड़े गए बेसहारा गोवंशों को जब इस गोशाला में छोड़ा जाता है, तो वहां उन्हें न तो पर्याप्त भोजन मिलता है और न ही पीने का साफ पानी। कई बार मृत पशुओं के शवों को समय पर उठाया भी नहीं जाता। गोशाला की व्यवस्थाओं को लेकर पहले भी बठिंडा में कई बार धरने-प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं आया।
अब जबकि आरटीआइ में इतने गंभीर आंकड़े सामने आए हैं, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर गोवंशों के नाम पर खर्च की जाने वाली राशि कहां जा रही है। आरटीआइ कार्यकर्ता गोयल ने प्रशासन से मांग की है कि हररायेपुर गोशाला में मृत गोवंशों की जांच के लिए एक स्वतंत्र उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
महीना-वर्ष मृत गोवंश की संख्या जितने प्रतिशत गोवंश की मौत हुई
वर्ष - 2025
जनवरी-2025 127 गोवंश 16.68% (लगभग)
फरवरी-2025 59 गोवंश 09.30% (लगभग)
मार्च-2025 92 गोवंश 12.76% (लगभग)
अप्रैल-2025 121 गोवंश 14.88% (लगभग)
मई-2025 208 गोवंश 27.91% (लगभग)
जून-2025 165 गोवंश 26.02% (लगभग)
जुलाई-2025 179 गोवंश 24.09% (लगभग)
अगस्त-2025 179 गोवंश 25.21% (लगभग)

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