छह साल से लोगों को घरों में बोरवेल बनाने के लिए जागरूक कर रहे सतीश अग्रवाल
बठिडा के समाजसेवी सतीश अग्रवाल पानी बचाने को लेकर इतने गंभीर हैं कि वह लोगों को उनके घरों में जाकर पानी बचाने के लिए जागरूक कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, बठिडा : बठिडा के समाजसेवी सतीश अग्रवाल पानी बचाने को लेकर इतने गंभीर हैं कि वह लोगों को उनके घरों में जाकर पानी बचाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि अगर पानी को आज ही बचा लिया जाए तो आने वाली पीढि़यों को पानी की किल्लत से न जूझना पड़े। वह जहां कहीं पर भी निर्माण का कोई कार्य होता है तो वह वहां पर जाकर लोगों को जागरूक करते हैं। अग्रवाल लोगों को अपने घरों या बाजारों में बोरवेल बनाने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि बारिश के पानी को जमीन में स्टोर किया जा सके। इसकी शुरुआत उसने अपने घर से की है।
बठिडा की स्मार्ट फाउंडेशन के सतीश अग्रवाल सीमेंट का कारोबार करते हैं। उन्होंने देखा कि जब सीमेंट व रेत के कोई निर्माण का कार्य किया जाता है तो काफी मात्रा में पानी की बर्बादी होती है। तब से ही उन्होंने पानी बचाने के लिए लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। बेशक निर्माण के समय तो पानी नहीं बचाया जा सकता, लेकिन इसमें हम बाद में सहयोग दे सकते हैं। इस सोच के साथ ही उन्होंने छह साल पहले अपने घर में बोरवेल बनाया, जिसके द्वारा वह बारिश के पानी को जमीन में स्टोर करते हैं। वह नो प्रोफिट नो लास पर धरती में पानी रिचार्ज करते हैं। यहां तक कि प्रशासन के साथ भी पानी बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने संकल्प लिया है कि जब तक वह अपने लेवल पर काम कर सके, लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करेंगे। इनका एजेंडा है कि बठिडा में मानसून में काफी बारिश होती है, जिसका पानी सीवरेज में जाता है। इसको सीवरेज में जाने के बजाय जमीन में रिचार्ज किया जाना बेहतर है। वह अब तक अपने लेवल पर 40 के करीब बोरवेल लगाकर बारिश के पानी को जमीन में रिस्टोर करने का प्रबंध कर चुके हैं। प्रशासन शहर में जगह-जगह करवाए बोरवेल
उन्होंने प्रशासन से अपील की कि अगर शहर में जगह जगह पर बोरवेल बनाकर रखे जाएं तो बारिश के पानी को जमीन में स्टोर किया जा सकता है। इसके साथ शहर की सड़कों पर जमा होने वाले पानी से भी लोगों को राहत मिलेगी। इसके अलावा उनको इस बात का दुख है कि लोग करोड़ों रुपये मकान बनाने में लगा देते हैं, लेकिन कुछ पैसों के साथ घरों में बोरवेल नहीं करवाते। अगर सभी लोग ऐसा करने लगे तो एक दिन इस समस्या का हल हो सकता है। यहां तक कि वह अब बोरवेल लगाने के लिए काम शुरू भी करने वाले हैं, जिनके द्वारा अपना दफ्तर भी खोला जाएगा।
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