पंजाब में पराली की आग से सुलगता तनाव, जागरुक करने जा रहे अधिकारियों का विरोध कर रहे किसान
पंजाब में पराली जलाने की समस्या गहराती जा रही है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बावजूद, किसान पराली जलाने पर अड़े हुए हैं, जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारियों को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ सालों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें किसानों ने अधिकारियों को बंधक बना लिया या उन्हें पराली जलाने के लिए मजबूर किया। सरकार किसानों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दे रही है, जिससे टकराव की स्थिति बनी हुई है।

खेतों में पराली की आग बुझाने जा रहे अधिकारियों काे करना पड़ता है किसानों के विरोध का सामना (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, बठिंडा। पंजाब सरकार ने जहां पराली जलाने वाले किसानों समेत प्रशासनिक अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। वहीं किसान संगठन गांवों में आने वाले अधिकारियों का घेराव कर रहे हैं।
यही वजह है कि पराली जलाने से रोकने के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारी गांवों में आने से कतरा रहे हैं। बीते चार सालों से हर साल गांवाें में जाने वाले अधिकारियों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
किसान संगठनों ने कहा है कि खेतों में पराली जलाना उनकी मजबूरी है। इसलिए यदि कोई किसान पराली जलाता है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। बठिंडा जिले में 2022 से लगातार हर साल खेतों में जाने वाले अधिकारियों का किसानों द्वारा घेराव कर लिया जाता है।
बीते साल गांव गिदड़ में पराली की आग बुझाने गए लोक निर्माण विभाग के एसडीओ समेत पंचायत सचिव का घेराव कर लिया गया। जिसके बाद कोई कार्रवाई न करने का आश्वासन मिलने पर घेराव खत्म किया गया।
जबकि साल 2023 में जिले के गोनियाना ब्लाक में भी लोक निर्माण विभाग के एसडीओ जब पराली न जलाने के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए गए तो वहां पर मौजूद किसान यूनियन के नेताओं ने अधिकारी से ही पराली को आग लगवा दी।
हालांकि अधिकारी ने मना भी किया, मगर फिर भी किसान यूनियन के दबाव में उनको पराली को आग लगाना पड़ा। जबकि इस मामले में किसानों पर केस भी दर्ज किए गए थे। इसी प्रकार साल 2022 में भी पराली जलाने की फोटो खींच रहे दो प्रशासनिक अधिकारियों का किसानों ने घेराव कर लिया।
पंजाब सरकार व किसानों के आमने-सामने आने के बाद पराली जलाने से रोकने के लिए तैनात अधिकारी अब दुविधा में पड़ गए हैं। अगर वह किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए गांवों में जाते हैं, तो उन्हें किसानों द्वारा बंदी बना लिया जाता है। यदि वह गांवों में जाकर किसानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं तो उन्हें सरकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सरकार की हर कार्रवाई का किसान यूनियन विरोध कर रही है। यूनियन ने ऐलान किया है कि मजबूर किसान अपने खेतों में धान की पराली जलाएंगे और अगर कोई अधिकारी इसे रोकने की कोशिश करेगा तो उसे घेर लिया जाएगा।
पंजाब सरकार और प्रशासनिक अधिकारी किसानों को पराली जलाने पर उनकी जमीनों की जमाबंदी में लाल एंट्री करने व सब्सिडी बंद करने के अलावा एफआईआर दर्ज व भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी जा रही है।
डीसी राजेश धीमान भी किसानों से अपील कर चुके हैं। लेकिन अब उनका कहना है कि किसानों को जागरूक तो किया ही जा रही है। मगर जो किसान अब पराली को आग लगाएंगे, उन पर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। जबकि गांवों में रिपोर्ट तैयार करने के लिए जाने वाले अधिकारियों को सुरक्षा दी जाएगी।
साल 2022 में अधिकारियों को बंधक बनाए जाने की तीन घटनाएं हो हुईं। चुकी हैं। गांव कोटड़ा कोड़ा में पराली जलाए जाने की तस्वीरें लेने पहुंचे लोक निर्माण विभाग के जेई को बंदी बना लिया गया।
उक्त जेई को कई घंटों तक किसानों ने बंदी बनाकर रखा, जिसे प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद छोड़ा गया। इसी तरह महमा सरजा गांव में पराली जलाए जाने की फोटो खींच रहे ब्लाक विकास अधिकारी को किसानों ने बंदी बना लिया।
उक्त इंस्पेक्टर अपनी ड्यूटी के अनुसार पराली जलाने की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजने के लिए फोटो खींच रहा था। इसकी जानकारी जब किसानों को हुई तो वे स्पीकर में बोले, जिसके बाद जमा हुए किसानों ने उन्हें कई घंटों तक बंदी बनाकर रखा। इसी तरह दौलतपुरा गांव में पटवारी को किसानों ने उस समय बंदी बना लिया, जब वह पराली जलाए जाने की तस्वीरें ले रहे थे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।