बारिश के पानी को रीचार्ज करने के लिए बनाए बोरवेल मिट्टी से भरे
देशभर में उभरे जल संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से शुरू किए गए जल शक्ति अभियान के तहत जिले में 10 जगह पर काम किया गया।
जागरण संवाददाता, बठिडा : देशभर में उभरे जल संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से शुरू किए गए जल शक्ति अभियान के तहत जिले में 10 जगह पर काम किया गया। इसके तहत जगह-जगह पर बोरवेल भी बनाए गए, ताकि जमीन में पानी को रीचार्ज किया जा सके। अब हालात यह हैं कि बोरवेल ही मिट्टी से दब गए हैं। लेकिन बोरवेल बनाने के समय यह भी अनदेखा गया कि पानी जमीन में रीचार्ज करने वाला है या नहीं। असल में जमीन में रीचार्ज होने वाले बारिश के पानी को साफ होने के बाद इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन शहर में मिनी सचिवालय के पास बनाए रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के लिए इसे ध्यान में नहीं रखा। यहां पर पानी के लिए बोरवेल को सड़क के ऊपर ही बनाया है, जबकि यहां बारिश होने के दौरान अक्सर ही सबसे ज्यादा गंदा पानी जमा होता है जिसकी कई दिनों तक निकासी नहीं हो पाती।
बारिश के पानी को रीचार्ज करने के लिए मिनी सचिवालय, सखी सेंटर के पास व माल रोड पर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाया जा रहा है। लेकिन यहां पर इसकी खामियों को नहीं देखा गया। जबकि रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम छत पर होना चाहिए। इस अभियान के तहत बठिडा के तीन ब्लाकों का चयन किया है जिसमें बठिडा, फूल व मौड़ ब्लाक शामिल हैं। इन ब्लाकों के चयन करने का एक मकसद यह भी है कि इनमें बोरवेल की गिनती सबसे ज्यादा है। पंजाब सरकार की ओर से जुलाई 2019 में जिले में करवाए सर्वे के तहत फूल ब्लाक में ही सबसे ज्यादा 60 बोरवेल मिले थे। इसके आधार पर ही अगस्त की 18 से 20 तारीख तक केंद्र की तीन सदस्यीय टीम ने ज्वाइंट सचिव मिनिस्ट्री आफ डिफेंस अश्वनी कुमार की अगुआई में जिले का सर्वे किया गया था।
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बठिडा को पहले चरण में किया था शामिल
अभियान की शुरुआत जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने की। जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में मन की बात कार्यक्रम में की थी। इसके तहत देश के 256 जिलों को टारगेट किया गया, जिनमें 1592 ब्लाक कवर किए जाने हैं। इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिग, वाटर कंजर्सेशन व वाटर मैनेजमेंट जैसी चीजों को बढ़ावा दिया जाना है। यह अभियान दो चरणों में होना है। इसका पहला चरण 1 जुलाई से 15 सितंबर 2019 व दूसरा चरण 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक चला। जबकि बठिडा को पहले चरण में शामिल किया है। मगर अब बठिडा यह अभियान दम तोड़ गया है।
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