Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बर्फ के नाम पर बाजारों में परोसी जा रही बीमारियां

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jun 2018 08:21 PM (IST)

    स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम बाजारों में खुलेआम देखा जा सकता है। पाबंदी के बावजूद बाजारों में सफेद (कच्ची) बर्फ का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रह ...और पढ़ें

    Hero Image
    बर्फ के नाम पर बाजारों में परोसी जा रही बीमारियां

    - खान-पान में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही कच्ची बर्फ राजन कैंथ, ब¨ठडा : स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम बाजारों में खुलेआम देखा जा सकता है। पाबंदी के बावजूद बाजारों में सफेद (कच्ची) बर्फ का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि खाने के लिए क्रिस्टल क्लीन और कू¨लग के लिए ब्लू बर्फ तैयार करने के निर्देश थे। मगर सब कुछ देखते हुए विभाग के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। गर्मी में राहत के लिए लोग बर्फ के गोले, गन्ने का रस और कई तरह के पेय पदार्थ काफी पसंद करते हैं। मगर यह नहीं जानते कि उनके सेवन से कौन-कौन सी बीमारियां खरीद रहे हैं क्योंकि उन्हें बाजार में इस्तेमाल की जाने वाली बर्फ कहां और किन हालात में तैयार की जाती है के बारे नहीं पता है। फैक्ट्रियों में लोहे पर जंग लगी गंदी ट्रे में बर्फ जमाई जाती है। कुछेक जगह तो बर्फ बनाने में उपयोग करने के लिए टैंकी या भूजल सप्लाई का इस्तेमाल हो रहा है। कुल मिलाकर खुले में बिकने वाले शीतल पेय पदार्थों के नाम पर खुलेआम बीमारी परोसी जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बाक्स

    फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी के आदेश दरकिनार

    बर्फ फैक्ट्रियों की ओर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने नोटिफिकेशन जारी किया था जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग ने जिले में चल रही 15 फैक्ट्रियों को उसकी कापियां भेज तामील करने के निर्देश दिए थे। नोटिफिकेशन के अनुसार 1 जून से केवल पारदर्शी या शीशे की तरह से आर-पार नजर आने वाली बर्फ को ही खाने लायक माना जाएगा। चि¨ल्लग प्लांट या चीजों को ठंडा करने के लिए इस्तेमाल करने वाली बर्फ नीले रंग की होगी ताकि उपभोक्ताओं को खाने की बर्फ में फर्क समझने में परेशानी न हो सके। नोटिफिकेशन पर लिखी शर्तों को 1 जून से लागू करना जरूरी है। ऐसा नहीं करने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान रखा था।

    बाक्स

    कार्रवाई के दावों का नामोनिशान नहीं

    नोटिफिकेशन जारी करते समय विभाग ने बड़े-बड़े दावे किए थे। डॉ. अशोक मोंगा ने कहा था कि खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम- 2006 के तहत खानपान से जुड़े सभी संस्थानों को एफएसएसएआई से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बिना लाइसेंस चल रही फैक्ट्रियों के खिलाफ फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिसमें उन्हें छह महीने की सजा और पांच लाख तक जुर्माना हो सकता है।

    बाक्स

    अन्य कामों में थे व्यस्त, आज होगी जांच-पड़ताल

    इस संबंध में बात करने पर सिविल सर्जन डॉ. हरी नारायण ¨सह ने कहा कि पिछले दिनों विभाग के अधिकारी व टीमें अन्य मुहिमों में व्यस्त रही जिसके चलते इस ओर ध्यान नहीं दे सके। मगर सोमवार से उन सभी फैक्ट्रियों में टीमें भेज कर बर्फ की जांच कराई जाएगी। मापदंड में फेल पाई जाने वाली फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की जाएगी।