जीदा बम मामला: फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार, एजेंसियों की जांच में नहीं मिले गुरप्रीत के आतंकी संगठन से संबंध
बठिंडा के गांव जीदा में केमिकल बम धमाके की जांच जारी है जिसमें पुलिस को एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि आरोपित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर के वीडियो देखकर कट्टरपंथी बना था और बम बनाने की कोशिश कर रहा था। एनआईए और अन्य एजेंसियों को उसके किसी आतंकी संगठन से सीधे संबंध का सबूत नहीं मिला है।

जागरण संवाददाता, बठिंडा। गांव जीदा में केमिकल बम धमाके के मामले में पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को अभी तक फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट आने के बाद ही इस केस की दिशा और स्पष्ट होगी।
जांच एजेंसियों को प्राथमिक स्तर पर यह पता चला है कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर के वीडियो देखकर कट्टरपंथी सोच की ओर झुक गया था।
यही वजह थी कि उसने विस्फोटक सामग्री इकट्ठी की और इंटरनेट से देखकर बम बनाने की कोशिश की।इस मामले की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए ) सहित राज्य व देश की अन्य खुफिया एजेंसीज ने गहनता से पड़ताल की है, लेकिन अब तक किसी भी एजेंसी को यह सबूत नहीं मिला कि आरोपित के सीधे तौर पर किसी आतंकी संगठन के साथ संबंध हैं।
जांचकर्ताओं का कहना है कि उसके पास से बरामद डिजिटल उपकरणों की भी बारीकी से जांच की जा रही है, ताकि उसकी गतिविधियों की वास्तविक मंशा सामने आ सके।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक की जांच में आरोपित के इंटरनेट मीडिया अकाउंट और ऑनलाइन गतिविधियों को खंगाला गया है।
इसमें यह सामने आया कि उसने कट्टरपंथी वीडियो और भाषणों से प्रभावित होकर खुद को इस दिशा में धकेला लेकिन किसी आतंकी माड्यूल से संपर्क की पुष्टि नहीं हुई।
यही कारण है कि अभी तक उस पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए की धाराएं नहीं लगाई गई हैं। पुलिस का कहना है कि एसएफएल की रिपोर्ट आने के बाद ही विस्फोटक सामग्री की प्रकृति और उसकी ताकत को लेकर अंतिम स्थिति सामने आएगी।
रिपोर्ट के बाद ही अभियोजन पक्ष यह तय कर सकेगा कि आगे कौन-कौन सी धाराएं जोड़ी जाएं। बता दें कि गुरप्रीत सिंह केमिकल बम बनाते समय हुए धमाके में घायल हो गया था और उसका एक हाथ काटना भी पड़ा।
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