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    Bathinda Bus Accident: यात्रियों के लिए देवदूत बने ग्रामीण, 7 मिनट में पुल पर पहुंचाई सीढ़ियां; मौत के मुंह से निकाले

    Updated: Sat, 28 Dec 2024 11:51 AM (IST)

    बठिंडा में एक दर्दनाक बस दुर्घटना में कई यात्रियों की जान चली गई। मानसा से चलकर बठिंडा जा रही बस गांव जीवन सिंह वाला के पुल पर गिर गई। बस में सवार यात्रियों को बचाने के लिए ग्रामीणों ने सीढ़ियां और रस्सियों का इस्तेमाल किया। इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए। जानिए इस हादसे के बारे में विस्तार से।

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    Bathinda Bus Accident: गंदे नाले में गिरी बस को क्रेनों की मदद से बाहर निकालते हुए। जागरण

    जागरण संवाददाता, बठिंडा। मानसा के सरदूलगढ़ से चलकर बस जब बठिंडा के गांव जीवन सिंह वाला के पुल पर पहुंची तो उस समय बाहर बारिश और कड़ाके की ठंड होने के कारण यात्री सिमटे बैठे थे। अचानक छपाक की आवाज हुई, और बस में पानी भर गया।

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    यात्रियों को पता ही नहीं चला कि यह क्या हो गया। कुछ भयानक घटित हो गया है, यह अनुभव होते ही चीख-पुकार मच गई। उस समय पुल से गुजरने वाले अन्य वाहन चालकों ने जब बस को पुल से नाले में गिरते देखा तो उन्होंने आसपास के लोगों को बताया जिसके बाद आसपास के गांवों के लोग पुल की ओर उमड़ पड़े।

    गंदे नाले में गिर गई बस

    ग्रामीणों को जब पता चला कि यात्री बस गंदे नाले में गिर गई है तो उनकी व्यवहारिक बुद्धि ने काम किया और वे तुरंत अपने गांवों से सीढ़ियां लेकर पुल पर पहुंचे और यही सीढ़ियां बस में फंसे यात्रियों को समय से जीवित निकालने में सबसे बड़ी सहायक सिद्ध हुईं।

    यदि ये सीढ़ियां नहीं होतीं तो जिस प्रकार बस जलकुंभी के बीच गिरी थी, उसमें से यात्रियों के निकालने में कहीं अधिक समय लग जाता। 35 यात्री सुरक्षिक बचाने में इन सीढ़ियों ने जीवनदायिनी भूमिका निभाई। रस्सियों से भी यात्रियों को पुल से ऊपर खींचा गया।

    बस में फंसे रहे हरियाणा के सिरसा जिले के गांव सिंहपुरा वासी महाशा सिंह ने बताया कि बस के गिरने के बाद लोगों ने बाहर निकलने की जद्दोजहद शुरू कर दी लेकिन हैरानी की बात है कि गांव जीवन सिंह वाला के लोग हादसे के मात्र सात मिनट बाद पुल पर सीढ़ियां लेकर पहुंच गए।

    सीढ़ियों से ही सवारियों को बाहर निकाला जा सका। इस कारण सवारियों की जान बच गई नहीं तो इससे भी अधिक मौत हो सकती थी।

    लोगों ने ऐसे बचाई जान

    गांव जीवन सिंह वाला के पूर्व सरपंच कुलदीप सिंह ने बताया कि मेरे गांव से दस सवारियां 1.28 बजे बस पर चढ़ी थीं। गांववासी जगवीर सिंह अपने बेटे 22 वर्षीय बेटे दीपू को बस चढ़ाकर आया था। सबसे पहले उनको पता चला और उन्होंने गांव के ग्रुप में मैसेज डाल दिया और गुरद्वारा साहिब से इसकी अनांउसमेंट करवा दी।

    इसके तुरंत बाद वह और गांव के लोग घटनास्थल पर पहुंच गए। हादसे में दीपू की बांह में फ्रैक्चर हो गया है। वह सीढ़ियां लेकर पहुंचे और लोगों को निकालना शुरू किया।

    बस चलने के डेढ़ किमी बाद ही सुक्खी ने खोई पत्नी व पुत्री

    गांव जीवन सिंह वाला वासी सुक्खी अपनी 30 वर्षीय धर्म पत्नी अमनदीप कौर व दो वर्षीय बेटी पुनीत कौर के साथ गांव जीवन सिंह वाला से बस पर बठिंडा के लिए चढ़ा था। उनको नहीं पता था कि उनकी बेटी व धर्मपत्नी का सफर डेढ़ किलोमीटर बाद ही समाप्त हो जाएगा।

    इस हादसे में सुक्खी को तो सुरक्षित निकाल लिया गया लेकिन उनकी बेटी और पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई।बस के दोनों दरवाजे पानी के अंदर थे, मैं इमरजेंसी विंडो से सबसे पहले बाहर आया एडवोकेट जगदीप दुर्घटना में बचे एडवोकेट जगदीप सिंह ने बताया कि मैं तलवंडी साबो से दोपहर 1.15 बजे बस में बैठकर बठिंडा के लिए रवाना हुआ था।

    अभी बस को चले हुए 15 मिनट ही हुए थे कि गांव जीवन सिंह वाला के पास पुल पर सामने से आ रहे ट्रक के कारण बस बेकाबू होकर पुल की रेलिंग तोड़ते हुए नाले में गिर गई। बस पूरी तरह पानी में डूब चुकी थी। पहले तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हो गया, फिर मैं सबसे पहले बस से बाहर निकला।

    बस के दोनों दरवाजे पानी के अंदर थे और मैं इमरजेंसी विंडो से बाहर आया। इसके बाद अन्य यात्रियों को निकलना शुरू किया। इतने में आसपास के लोग भी इकट्ठा हो गए। - जगदीप सिंह

    पलटी खा गई और ड्राइवर साइड ऊपर आ गई

    कन्या देवी महिला यात्री कन्या देवी ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि मैं तलवंडी साबो से अपनी दो बेटियों के साथ न्यू गुरु काशी बस पर बठिंडा के लिए चढ़ी थी। गांव जीवन सिंह वाला से सवारियों को चढ़ाकर बस अभी लसाड़ा ड्रेन पर आई ही थी कि सामने एक एक ट्रक आ गया और बिजली कड़कने लगी, मानो बड़ा धमाका हुआ हो और बस ड्रेन में गिर गई।

    बस की रफ्तार कोई ज्यादा नहीं थी लेकिन फिर भी बस ड्रेन में गिर गई। ड्रेन में गिरने से पहले बस पलटी खा गई और ड्राइवर साइड ऊपर आ गई। मैं ड्राइवर साइड पर बैठी हुई थी, इसी कारण मेरी व मेरी दोनों बेटियों की जान बची है। -कन्या देवी