सुखबीर के गिदड़बाहा हल्के से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद मनप्रीत बठिंडा का करने लगे विचार
शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल द्वारा गिदड़बाहा से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद, मनप्रीत बादल बठिंडा की ओर रुख कर रहे हैं। गिदड़बाहा में सक्रिय मनप्री ...और पढ़ें
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सुखबीर बादल द्वारा गिदड़बाहा से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद, मनप्रीत बादल बठिंडा की ओर रुख कर हे हैं (फाइल फोटो)
गुरप्रेम लहरी, बठिंडा। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों के लिए गिदड़बाहा हल्का चुनने की आधिकारिक घोषणा के बाद क्षेत्र की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
इस ऐलान ने न सिर्फ अकाली लीडरशिप में नई ऊर्जा भर दी है, बल्कि इससे मनप्रीत सिंह बादल की रणनीति में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पिछले विधान सभा चुनाव से गिदड़बाहा में सक्रिय दिखाई दे रहे मनप्रीत बादल अब दोबारा से बठिंडा शहरी हल्के की ओर रुख करने लगे हैं, जिससे स्थानीय राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है।
पिछले विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद मनप्रीत बादल ने लगभग बठिंडा को छोड़ ही दिया था और गिदड़बाहा हल्के मेंं सरगर्म हो गए थे और पिछला उप चुनाव भी उन्होंने भाजपा की टिकट पर वहीं से ही लड़ा था।
सूत्र बताते हैं कि अब सुखबीर बादल की घोषणा के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया है और उन्होंने अपना रुख बठिंडा का कर लिया है। मनप्रीत बादल के करीबी सहयोगियों का कहना है कि उन्होंने बठिंडा हल्के से चुनाव लड़ने की तैयारियां तेज कर दी हैं।
हाल ही में बठिंडा शहर में उनकी बढ़ती सक्रियता, विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में उपस्थिति और स्थानीय नेताओं से संपर्क ने इस चर्चा को और हवा दी है। मनप्रीत इससे पहले भी बठिंडा शहरी सीट से विधायक रह चुके हैं।
हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में वे पंजाब में सबसे ज्यादा वोट से हारने वालों में से दूसरे स्थान पर रहे थे। दूसरी ओर, भाजपा की बठिंडा इकाई में भी टिकट को लेकर हलचल तेज हो चुकी है।
भाजपा के शहरी जिला प्रधान सरूप चंद सिंगला लंबे समय से इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। सिंगला पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता माने जाते हैं, जिनका संगठन पर अच्छा दबदबा बताया जाता है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग भी उन्हें टिकट देने की मांग कर रहा है।
मगर यदि भाजपा हाईकमान बठिंडा से मनप्रीत बादल को टिकट देने का निर्णय लेता है, तो पार्टी के अंदर खींचतान बढ़ सकती है। सूत्रों की मानें तो सिंगला गुट पहले ही इस संभावना को लेकर असंतोष जता चुका है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सिंगला यदि टिकट से वंचित रह जाते हैं, तो वे कोई बड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। उधर, मनप्रीत बादल के समर्थकों का कहना है कि बठिंडा शहरी वही सीट है जहां से उन्हें राजनीतिक पहचान मिली, इसलिए इस बार भी वे सुरक्षित और मजबूत विकल्प के तौर पर इसी हल्के को प्राथमिकता दे रहे हैं।
हालांकि, पार्टी द्वारा अभी तक औपचारिक तौर पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन संकेत साफ हैं कि बठिंडा शहरी सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प और उथल–पुथल भरा होने वाला है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुखबीर बादल के गिदड़बाहा में उतरने से न केवल हल्के की राजनीति में नई दिशा तय होगी, बल्कि इसका असर बठिंडा और आसपास की सीटों पर भी गहराई से देखने को मिलेगा। अब सबकी नजरें भाजपा के टिकट वितरण और मनप्रीत बादल की अंतिम रणनीति पर टिकी हैं।

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