दवा के साथ दुआ की भी जरूरत
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रोहित जिंदल, बठिंडा
तपेदिक जिस तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है उसी गति से वह मरीज भी निकल कर सामने आ रहे हैं, जिन्हें तपेदिक की दवा असर ही नहीं कर रही है। हालांकि ऐसे मरीजों का टेस्ट कर जांच की जाती है कि इन्हें कौन सी दवा दी जाए। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के तपेदिक निरोधक विंग की चौथी तिमाही में 128 ऐसे मरीज निकल कर सामने आए हैं, जिन्हें तपेदिक की दवा असर ही नहीं कर रही है।
तपेदिक निरोधक विभाग की रिपोर्ट (अक्टूबर से दिसंबर) को देखा जाए तो मोगा को छोड़ प्रदेश के बाकी के सभी जिलों में इन तीन महीनों के दौरान तपेदिक के ऐसे मरीज पाए गए हैं। इनमें सबसे ऊपर बठिंडा, मोहाली व अमृतसर के नाम हैं। अगर देखा जाए तो जैसे-जैसे तपेदिक के मरीज बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे तपेदिक के ये मरीज भी बढ़ते जा रहे हैं, इनमें से एक सौ मरीजों को तो मल्टी ड्रग रिस्सिटेंट(एडीआर) टेस्ट के बाद दवा शुरू कर दी गई है, लेकिन 11 मरीज ऐसे हैं जिन्होंने दवा खाने से साफ मना कर दिया है।
गौरतलब है कि 128 मरीजों में से पांच की मौत हो चुकी है।
प्रदेश में ड्रग रिस्सिटेंट सेंटर
ड्रग रिस्सिटेंट तपेदिक सेंटर पटियाला।
ड्रग रिस्सिटेंट तपेदिक सेंटर अमृतसर।
ड्रग रिस्सिटेंट तपेदिक सेंटर फरीदकोट।
कहां कितने घातक मरीज
पटियाला 10
रोपड़ 3
बरनाला 1
फतेहगढ़ साहिब 8
मोहाली 12
लुधियाना 10
मानसा 6
संगरूर 6
होशियारपुर 1
जालंधर 6
शहीद भगत सिंह नगर 1
अमृतसर 11
गुरदासपुर 4
तरनतारन 5
कपूरथला 6
बठिंडा 15
फरीदकोट 7
श्री मुक्तसर साहिब 12
फिरोजपुर 4
(ये आंकड़ा तपेदिक विंग की तिमाही रिपोर्ट का है।)
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तपेदिक का शिकंजा
वर्ष मरीज
2010 40,523
2011 39,206
2012 39,583
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हर मरीज का करते हैं फालोअप
प्रदेश के तपेदिक अफसर डा. बलवीर सिंह का कहना है कि तपेदिक के जितने मरीज मल्टी ड्रग रिस्सिटेंट के तहत रोगी पाए जाते हैं उनका दवा के लिए बार-बार विभागीय कर्मियों द्वारा फालोअप किया जाता है। हां, कुछेक मरीज ऐसे होते हैं जो दवा लेने को तैयार नहीं होते, उन्हें बार-बार जागरूक करने के अलावा उनके पारिवारिक सदस्यों को भी इस बीमारी बाबत जानकारी दी जाती है।
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