Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बेटियों के साथ मम्मी ने भी पकड़ी रफ्तार

    By Edited By:
    Updated: Sat, 05 May 2012 10:10 PM (IST)

    कटिहार : ममता के पापा आफिस गये हैं। उसकी मम्मी को डाक्टर के पास जाना था। ममता ने अपनी स्कूटी से मम्मी को चिकित्सक के यहां पहुंचा दिया। आमला टोला की सरिता देवी को बच्चों को स्कूल लाने ले जाने का टेंशन नहीं रह गया है। एक वर्ष पूर्व तक वह स्कूल बस का इंतजार किया करती थीं, मगर अब स्कूटी से यह काम भी वह आसानी से कर ले रही हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    साइकिल से सूबे के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आई हलचल ने अब बेटियों को स्कूटी ने खूब लुभाया है। कई मम्मी भी अब सड़कों पर स्कूटी को रफ्तार देती दिख रहीं हैं। पारूल की मम्मी ने तो घर का सारा काम ही अपने जिम्मे ले लिया है। सब्जी बाजार से लेकर सास-ससुर की दवा और इलाज भी आसानी से करा ले रहीं हैं। कहती हैं कि पहले उन्हें छोटे-मोटे काम के लिए भी पति या बेटे का सहारा लेना पड़ता था। हालांकि वो बचपन से ही साइकिल चलाना जानती थीं, मगर चहारदीवारी में आधी आबादी की जिंदगी ने उन्हें विवश कर रखा था। हाल के वर्षो में आये बदलाव ने पारूल की मम्मी को भी बदल दिया। अब वह न सिर्फ सहज हैं बल्कि रोजमर्रा की जरूरतों को आसानी से पूरा भी कर रहीं हैं।

    आधी आबादी में आई जागृति ने समाज के विचार में भी परिवर्तन लाया है। अब पारूल की मम्मी ही नहीं बल्कि सैकड़ों महिलाएं अपने पारिवारिक दायित्वों का बेहिचक निर्वाह कर रही हैं। हद तो यह है कि बेटी मम्मी को तो बहू सास को रफ्तार दे रही हैं।

    कटिहार शहरी क्षेत्र में कमोबेश दो दर्जन से अधिक स्कूटी की दुकानें हैं। एस बाइक शो-रूम के मालिक मुश्ताक के मुताबिक अब युवतियां ही नहीं बल्कि अधेड़ महिलाएं भी स्कूटी खरीदने आ रही हैं। कईयों की उम्र 40 के पार भी है। ये महिलाएं न सिर्फ अपने लिए बाइक खरीदती हैं बल्कि अपनी सहेलियों और पड़ोसियों को भी इसके लिए प्रेरित कर रही हैं। शहरी क्षेत्र में अमूमन दो-चार सौ युवतियां और महिलाएं किसी भी वक्त सड़कों पर वाहन को रफ्तार देती देखी जा सकती हैं।

    बेटियों के साथ मम्मियों भी सामाजिक बदलाव की गवाह बन रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें भी इसकी गवाह हैं। जिला परिवहन पदाधिकारी अरुण प्रकाश कहते हैं कि हाल के वर्षो में दोपहिया वाहन के पंजीयन तथा ड्राइविंग लाइसेंस के लिए युवतियों और महिलाओं के आवेदन की संख्या काफी बढ़ गयी है। कई युवतियां तो खुद से सेवा के अधिकार की खिड़की से लाइसेंस और पंजीयन करवा रही हैं। श्री प्रकाश मानते हैं कि महिलाओं और युवतियों में आये इस बदलाव से पारिवारिक और जरूरी कार्यो में आधी आबादी की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। महिला कॉलेज की छात्रा मोना, शालू, मामून, रूबी, नीली सहित कई अन्य छात्राएं इस बदलाव से हर्षित हैं। कहती हैं कि पहले उन्हें ब्यूटी पार्लर तक जाने के लिए भी भाईयों एवं अभिभावकों का सहारा लेना पड़ता था। अब तो वे अपनी पढ़ाई और अपना काम बेहिचक और कम समय में निपटा ले रही हैं।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर