बरनाला में दीपावली के बाद प्रदूषण का कहर, मानसिक स्वास्थ्य पर गहराया संकट; मरीजों में 20% इजाफा
बरनाला में दीपावली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषित हवा में मौजूद रसायन दिमाग में ऑक्सीजन की कमी करते हैं, जिससे चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मरीजों की संख्या में 20% तक वृद्धि हुई है, खासकर बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हैं। प्रदूषण से बचाव के लिए पौधारोपण और अन्य उपायों का पालन करना आवश्यक है।

प्रदूषण से मानसिक रोगाें में वृद्धि हुई, अनिद्रा और थकान जैसे लक्षण (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बरनाला। मनोदिशा अस्पताल बरनाला के डायरेक्टर डाक्टर हिमांशु सिंगला ने बताया कि दीपावली और बंदी छोड़ दिवस की जगमगाहट के बाद अब चिंताजनक स्थिति बन रही है। एक और पराली के धुएं और पटाखों से शहर की हवा जहरीली हो चुकी है, वहीं इसका असर अब सिर्फ सांसों तक सीमित नहीं रहा।
बढ़ता प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। दीपावली व बंदी छोड़ दिवस की रात एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 तक पहुंच गया, जिससे बरनाला सबसे प्रदूषित शहर बन गया। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण यानी पीएम-10 और पीएम 2.5 न केवल फेफड़ों तक पहुंचते हैं, बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करते हैं।
बरनाला मनोरोग अस्पताल बरनाला के डायरेक्टर डॉक्टर दमनजीत कौर बांसल ने बताया प्रदूषित हवा में मौजूद कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड जैसे रसायन शरीर में आक्सीजन की मात्रा कम करते हैं। इससे दिमाग को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलती, इससे चिड़चिढ़ापन, अनिद्रा, थकान और मूड स्विंग जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं।
मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है। बच्चे और बुजुर्ग इस मानसिक प्रदूषण के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। बच्चों में ध्यान केंद्रित न कर पाना, गुस्सा और थकान बढ़ रही है। वहीं, बुजुर्गों में ब्लड प्रेशर बढ़ने और चिंता की शिकायतें ज्यादा हैं।
घरों में पौधे जरूर लगाएं पर्याप्त मात्रा में पानी पीयें, नींद ले सुबह की सैर टाल दें, सुबह हवा में प्रदूषक कण ज्यादा होते हैं घर में कयूर, नीम की पत्तियों और तुलसी का प्रयोग जरूर करें।
प्रदूषण से लड़ने और मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का सरल और प्रभावी तरीका पौधारोपण है। पेड़ न केवल हवा को शुद्ध करते हैं. बल्कि वातावरण में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर प्रदूषण के प्रभाव को कम करते है। पीपल, नीम, तुलसी और बरगद जैसे पेड़ जहरीले रसायनों को सोखते हैं।
जहरीली हवा में रहने से शरीर में तनाव हार्मोन 'कार्टिसोत' का स्तर बढ़ जाता है, जिससे डिप्रेशन जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। जब हवा में आक्सीजन की मात्रा घटती है, तो मस्तिष्क की कोशिकाएं तनाव की स्थिति में आ जाती हैं। इससे नींद की समस्या, मानसिक थकान और बेचैनी जैसी स्थितियां पैदा होती हैं।

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