ध्रुव चरित्र का वर्णन सु मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु
संवाद सहयोगी, बरनाला : श्री प्राचीन जंडा वाला मंदिर में आयोजित श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्स
संवाद सहयोगी, बरनाला : श्री प्राचीन जंडा वाला मंदिर में आयोजित श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दूसरे दिन ध्रुव चरित्र कथा का वर्णन करके संगतों को निहाल किया गया। श्री प्राचीन जंडा वाला मंदिर कमेटी के प्रधान राकेश कुमार गौड़ ने कहा कि समूह श्रद्धालुओं व शहर निवासियों के सहयोग से 13 अगस्त से शाम 3 बजे से 6 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव आयोजित किया गया है, कथा के दूसरे दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बढ़चढ़ करके हिस्सा लिया व कथा में धु्रव चरित्र का वर्णन को सुनकर खुब आनंद लिया। 18 अगस्त को शाम 6 बजे भोग डालकर कथा संपन्न किया जाएगा। श्रीमछ्वागवत कथा के सरस प्रवक्ता पंडित राकेश कुमार गौड़ ने अपनी मधुर वाणी से कथा के दूसरे दिन भक्त ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार उत्तानपाद सिंहाशन पर बैठे हुए थे। ध्रुव भी खेलते हुए राजमहल में पहुंच गए। उस समय उनकी अवस्था पांच वर्ष की थी। उत्तम राजा उत्तनपाद की गोदी में बैठा हुआ था। ध्रुव जी भी राजा की गोदी में चढ़ने का प्रयास करने लगे। सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटा- च्वाइस गोद में चढ़ने का तेरा अधिकार नहीं है। अगर इस गोद में चढ़ना है तो पहले भगवान का भजन करके इस शरीर का त्याग कर और फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर मेरा पुत्र बन।'' तब तू इस गोद में बैठने का अधिकारी होगा का ज्ञान प्रदान करके श्रद्धालुओं को निहाल किया गया। आज श्रीमद्भागवत कथा में जड़ भरत चरित्र प्रहलाद चरित्रादि का वर्णन किया जाएगा।
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